कार्वी मामला : आखिर कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग पर प्रतिबन्ध क्यों लगाया गया?
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड (KSBL) को हाल ही में डिफ़ॉल्टर करार किया। कार्वी पर विनियामक प्रावधानों का पालन नहीं करने का आरोप है। और इसे NSE की सदस्यता से भी निष्कासित कर दिया गया है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने भी इसी प्रकार की कार्यवाई की है।
मुख्य बिंदु
22 नवंबर, 2019 को, प्रतिभूति और कमोडिटी बाजार नियामक, सेबी ने केएसबीएल को प्रतिबंधित कर दिया था। क्योंकि कार्वी पर आरोप था कि उसने अपने निवेशकों का पैसा अपनी रियल एस्टेट आर्म ‘कार्वी रियल्टी’ की फंडिंग के लिए इस्तेमाल किया।
शुरुआत में, सेबी ने अनुमान लगाया कि कार्वी ने 1,096 करोड़ रुपये कार्वी रियल्टी को ट्रान्सफर किए थे। लेकिन नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की ताजा जानकारी के अनुसार, लगभग 2.35 लाख केएसबीएल निवेशकों के 2,300 करोड़ रुपये के फंड और सिक्योरिटीज अब तक सेटल हो चुके हैं।
कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग केस क्या है?
केएसबीएल ने अपने ग्राहकों द्वारा प्रदान की गई पावर ऑफ अटॉर्नी का दुरुपयोग करके अनाधिकृत रूप से ग्राहकों के डीमैट खातों से अपने खाते में सिक्योरिटीज को ट्रान्सफर कर दिया था।
नवंबर 2019 में, सेबी ने कार्वी पर नियमों का उल्लंघन करने के लिए व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन करने और अपने ग्राहक के शेयरों को खुद में स्थानांतरित करने के कारण प्रतिबन्ध लगा दिया था। कार्वी के 2.40 लाख से अधिक ग्राहकों ने सेबी से पैसे और प्रतिभूतियों के उनके ट्रेडिंग खातों में नहीं आने की शिकायत की थी। कार्वी ने अपने ग्राहकों की जानकारी के बिना उनके खातों का दुरूपयोग किया, इसके बारे में स्टॉक एक्सचेंज को भी जानकारी नहीं दी गयी थी।
डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) खाते में पड़ी सिक्योरिटीज केवल ग्राहकों की होती हैं और उनके द्वारा ही गिरवी रखी जा सकती हैं। KSBL को उन प्रतिभूतियों का इस्तेमाल करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
एनएसई द्वारा सेबी को सौंपी गई रिपोर्ट में एक्सचेंज ने कहा कि केएसबीएल ने अपने ग्राहकों की पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी का दुरुपयोग करके ग्राहकों की प्रतिभूतियों को बेचा, और अपने निजी उद्देश्यों के लिए उस धन का उपयोग किया।
इसे छुपाने के लिए, कार्वी ने जनवरी से अगस्त 2019 तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को अपने सबमिशन में DP अकाउंट (नंबर 11458979) की सूचना नहीं दी।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
यह मुंबई, महाराष्ट्र में बेस्ड भारत का एक स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना 1992 में भारत के पहले डी-डिमटेरियलाइज्ड इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज के रूप में की गयी थी। अप्रैल 2018 तक, यह दुनिया का 1 वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है, इसका कुल बाजार पूंजीकरण 2.27 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज
इसकी स्थापना 1875 में की गयी थी, यह देश का एक प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज। यह एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज भी है। अप्रैल 2018 तक, यह दुनिया का 10वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है, इसका कुल बाजार पूंजीकरण 2.2 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा है।
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