मौर्य साम्राज्य: बिन्दुसार
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बिन्दुसार चन्द्रगुप्त मौर्य का पुत्र था। बिन्दुसार की जीवनी के सन्दर्भ में जैन व बौद्ध ग्रंथों में अधिक वर्णन नहीं किया गया है। जैन ग्रंथों में चन्द्रगुप्त मौर्य का उल्लेख मिलता है। जबकि बौद्ध ग्रंथों में मुख्य रूप से अशोक का ही वर्णन किया गया है। यूनानी लेखकों ने बिन्दुसार को अमित्रघात कहकर संबोधित किया है, जिसका अर्थ है शत्रुओं का नाश करने वाला। इसे सिंहसेन और भद्रसार नाम से भी जाना जाता है। दिव्यवादन के अनुसार बिन्दुसार के समय के तक्षशिला में अमात्यों के विरुद्ध दो विद्रोह हुए, जिसे दबाने के लिए उसने पहली बार अशोक को और दूसरी बार सुशीम को भेजा। बिन्दुसार ने अपने पिता द्वारा बनाये गए साम्राज्य को सुदृढ़ बनाया। तिब्बती लेखक तारानाथ के अनुसार बिन्दुसार ने दक्षिणी भारत में भी विजय प्राप्त की थी, परन्तु कुछ इतिहासकार इस सम्बन्ध में संशय प्रकट करते हैं।
बिन्दुसार चन्द्रगुप्त का पुत्र था जैन ग्रन्थ के अनुसार बिन्दुसार की माता का नाम दुर्धरा था। बिन्दुसार का मंत्री चाणक्य था। बिन्दुसार के बारे में संक्षिप्त जानकारी पुराणों और महावंश से मिलती है। सीरिया के शासक एंटीयोकास प्रथम ने अपने दूत डायमेकस को बिन्दुसार के दरबार में भेजा था। बिन्दुसार ने सीरिया के शासक से शराब, मीठा अंजीर और एक दार्शनिक की मांग की थी। इसका वर्णन एथिनियस ने किया है। मिस्र के शासक टॉलेमी द्वितीय ने डायनोसियस नामक राजदूत बिन्दुसार के दरबार में भेजा था। बिन्दुसार आजीवक सम्प्रदाय का अनुयायी था।
इसकी राज्यसभा में आजीवक परिव्राजक निवास करता था।