उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को वन गुर्जर जनजाति को आवश्यकता सहायता देने का आदेश दिया

हाल ही में, उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वन गुर्जर खानाबदोश जनजाति के परिवारों की उपेक्षा करने और निम्न जीवन स्थितियों में जीवित रहने के लिए मजबूर करने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की है।

हाईकोर्ट का आदेश

कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को उन्हें आवास, भोजन, पानी और दवाएं उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। इसने उत्तरकाशी के गोविंद पशु विहार राष्ट्रीय उद्यान (Govind Pashu Vihar National Park) में प्रवेश करने से पहले उनका कोविड -19 परीक्षण कराने का भी आदेश दिया है।

राज्य का दृष्टिकोण

राज्य सरकार का विचार था कि यदि जनजातियाँ राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश करेंगी, तो वे वन्यजीवों को ख़तरे में डाल देंगी, क्योंकि कोरोनावायरस मनुष्यों से जानवरों में फैल सकता है।

पृष्ठभूमि

उच्च न्यायालय 2019 में थिंक एक्ट राइज फाउंडेशन (Think Act Rise Foundation) नामक दिल्ली स्थित एनजीओ द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर जवाब दे रहा था, जिसमें वन गुर्जरों की स्थिति को उजागर किया गया था, जो उत्तराखंड में जंगलों के कुछ क्षेत्रों में रहती है। इस जनहित याचिका में वन अधिकार अधिनियम (Forest Right Act) के तहत इस समुदाय को लाभार्थी बनाने और उन्हें भूमि अधिकार देने की मांग की गई है।

वन गुर्जर खानाबदोश जनजाति (Van Gujjars Nomadic Tribe)

वन गुर्जर घुमंतू जनजातियाँ हैं जो हिमालय की तलहटी में जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में निवास करती हैं। वे भैंस चराने का कार्य करते हैं। वे उन जनजातियों में से हैं जो जंगली आवासों पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं।

वन गुर्जरों की उत्पत्ति

ऐसा माना जाता है कि गुर्जर, गुर्जर साम्राज्य के थे और वे भारतीय उपमहाद्वीप में गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के राज्यों में चले गए। दूसरी ओर, वन गुर्जरों सहित मुस्लिम गुर्जर पाकिस्तान, अफगानिस्तान और भारतीय हिमालयी राज्यों जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में चले गए। यह भी माना जाता है कि वन गुर्जरों के पूर्वज लगभग 1500 साल पहले कश्मीर से उत्तराखंड चले गए थे।

 

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