गुजरात से जीआई प्रमाणित भालिया गेहूं (Bhalia Wheat) का निर्यात शुरू हुआ

भौगोलिक संकेत (GI) प्रमाणित भालिया किस्म के गेहूं की पहली खेप गुजरात से केन्या और श्रीलंका को निर्यात की गई, इससे गेहूं के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

भालिया गेहूं  (Bhalia Variety of Wheat)

  • जीआई प्रमाणित गेहूं में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और इसका स्वाद मीठा होता है।
  • यह ज्यादातर गुजरात के भाल क्षेत्र में उगाया जाता है।यह अहमदाबाद, खेड़ा, आणंद, भावनगर, भावनगर और भरूच जिलों में भी उगाया जाता है।
  • यह गेहूं की किस्म बिना सिंचाई के बारानी स्थिति में उगाई जाती है और गुजरात में दो लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में इसकी खेती की जाती है।
  • गेहूं की भालिया किस्म को जुलाई, 2011 में जीआई प्रमाणीकरण प्राप्त हुआ था।
  • जीआई प्रमाणन के पंजीकृत मालिक गुजरात में आणंद कृषि विश्वविद्यालय हैं।

गेहूं निर्यात

2020-21 में, भारत से गेहूं के निर्यात में 808% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई वित्तीय वर्ष 2020-2021 में गेहूं का निर्यात 444 करोड़ रुपये से बढ़कर 4034 करोड़ रुपये हो गया। अमेरिकी डॉलर के लिहाज से 2020-21 में गेहूं का निर्यात 778% बढ़कर 549 मिलियन डॉलर हो गया। भारत ने 2020-21 के दौरान यमन, इंडोनेशिया, फिलीपींस, भूटान, ईरान, कंबोडिया और म्यांमार जैसे सात नए देशों को गेहूं का निर्यात किया।

भौगोलिक संकेत (Geographical Indication – GI) टैग

GI अपनी विशेष गुणवत्ता या प्रतिष्ठित विशेषताओं के कारण सदियों से अद्वितीय भौगोलिक उत्पत्ति और विकास वाले उत्पादों पर एक प्रतीक चिन्ह है। जीआई टैग प्रामाणिकता (authenticity) को चिह्नित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि पंजीकृत अधिकृत उपयोगकर्ता या भौगोलिक क्षेत्र के अंदर रहने वालों को लोकप्रिय उत्पाद नामों का उपयोग करने की अनुमति है। Geographical Indications of Goods (Registration & Protection) Act, 1999 जीआई टैग को नियंत्रित करता है। यह जियो ग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री, चेन्नई द्वारा जारी किया जाता है।

जीआई टैग के लाभ

जीआई टैग भारतीय भौगोलिक संकेतों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है और पंजीकृत जीआई के अनधिकृत उपयोग को रोकता है। यह उत्पादकों की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देता है और अन्य देशों में उत्पादों की मान्यता प्राप्त करने में मदद करता है।

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