यूक्रेन पर अमेरिका-रूस ने वार्ता आयोजित की

10 जनवरी 2022 को जिनेवा में अमेरिका और रूसी अधिकारियों की मुलाकात हुई। उन्होंने यूक्रेन सम्बन्धी तनाव सहित कई मुद्दों पर चर्चा की।

मुख्य बिंदु 

अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का भय है। यूक्रेन को अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त है। यूक्रेन का गठन सोवियत संघ के विघटन के बाद हुआ था।

बातचीत के दौरान रूस का रुख

रूस ने अमेरिका और नाटो सहयोगियों से कई रियायतों की मांग की। रूस ने वार्ता के दौरान यूक्रेन पर हमले से इनकार किया। हालांकि, रूस ने वास्तव में यूक्रेन सीमा पर हजारों सैनिकों को तैनात किया है। इससे अमेरिका और रूस के बीच शीत युद्ध शुरू हो गया।

बातचीत के दौरान अमेरिका का रुख

रूस ने यदि हमला किया तो अमेरिका ने गंभीर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी। नाटो-रूस काउंसिल की बैठक ब्रुसेल्स में आयोजित की जाएगी। यह सम्मेलन यूक्रेन मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसके अलावा, यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन (Organization for Security and Cooperation in Europe – OSCE) इसी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए वियना में बैठक करेगा।

मामला क्या है?

मुद्दा तब शुरू हुआ जब रूस ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। क्रीमिया यूक्रेन में स्थित है। इसमें कर्च जलडमरूमध्य (Strait of Kerch) है। यह जलडमरूमध्य रूस के लिए भूमध्यसागरीय देशों तक पहुंचने का एकमात्र मार्ग है। यह जलडमरूमध्य आज़ोव सागर (Sea of Azov) और काला सागर (Black Sea) को जोड़ता है। यह एक प्रमुख व्यापार मार्ग है। अमेरिका और पश्चिमी देश मुख्य रूप से रूस के लिए शिपिंग को मुश्किल बनाने के लिए यूक्रेन का समर्थन करते हैं। इसके पीछे मुख्य कारण आर्थिक प्रतिस्पर्धा और प्रतिद्वंद्विता है।

रूस की मांगें

रूस चाहता है कि नाटो वापस वहीं जाए जहां वह 1997 में था। इससे पोलैंड और बाल्टिक देश रूसी प्रभाव के प्रति संवेदनशील हो जाएंगे। ये देश पश्चिम के समर्थन में शामिल हो गए हैं। साथ ही रूस चाहता है कि जॉर्जिया और यूक्रेन को नाटो में शामिल होने से रोक दिया जाए। 2008 में रूस ने जॉर्जिया पर आक्रमण किया था।

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