G-7 राष्ट्रों ने ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ प्रयासों में तेजी लाने का संकल्प लिया

सात औद्योगिक देशों या G7 समूह के पर्यावरण मंत्री यूनाइटेड किंगडम द्वारा आयोजित दो दिवसीय आभासी बैठक के दौरान ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ प्रयासों में तेजी लाने के लिए सहमत हुए। यूनाइटेड किंगडम वर्तमान में G7 की अध्यक्षता कर रहा है।

मुख्य बिंदु

  • उन्होंने 2021 के अंत तक नए कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के लिए सरकारी समर्थन को रोकने के लिए भी प्रतिबद्धता ज़ाहिर की।
  • वैश्विक तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए समर्थन प्रदान किया गया है।
  • उन्होंने वनों की कटाई को रोकने, अत्यधिक मछली पकड़ने पर अंकुश लगाने, जैव विविधता को बढ़ावा देने और समुद्री प्लास्टिक के मुद्दे से निपटने के लिए आवश्यक उपाय करने का भी वादा किया।
  • उन्होंने जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियों जैसे COVID-19 के भविष्य के प्रकोप को रोकने की दिशा में भी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

पृष्ठभूमि

G7 देशों ने अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency – IEA) द्वारा एक रिपोर्ट जारी करने के बाद बयान जारी किया और कहा कि सरकारों को 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन (net-zero emissions) के अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता है। IEA ने अपनी सिफारिश में नई जीवाश्म ईंधन आपूर्ति परियोजनाओं में निवेश को तुरंत समाप्त करने और 2035 तक गैसोलीन और डीजल से चलने वाली कारों की बिक्री को रोकने के लिए कहा था।

G7 सदस्य

इसमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी और जापान शामिल हैं। दुनिया में कार्बन उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत होने के बावजूद चीन इसका सदस्य नहीं है।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency – IEA)

IEA एक पेरिस बेस्ड स्वायत्त अंतर सरकारी संगठन है जिसे आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के ढांचे के तहत स्थापित किया गया था। इसकी स्थापना 1974 में 1973 के तेल संकट के बाद की गई थी। यह सालाना World Energy Outlook जारी करता है।

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