मिजोरम में लुप्तप्राय अफ्रीकी वायलेट पौधा खोजा गया – GK in Hindi

मिजोरम में लुप्तप्राय अफ्रीकी वायलेट पौधा खोजा गया

भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Science Education and Research – IISER), भोपाल द्वारा अफ्रीकी वायलेट नामक पौधे की एक नई प्रजाति की खोज की गई।

मुख्य बिंदु

अफ्रीकी वायलेट पौधा (African Violet Plant)

वे गेस्नेरियासीए (Gesneriaceae) परिवार के जीनस सेंटपॉलिया (Saintpaulia) में फूल वाले पौधे हैं। ये पौधे उष्णकटिबंधीय पूर्वी अफ्रीका में ऊंचाई वाले क्षेत्र के के मूल निवासी हैं। वे व्यापक रूप से बागवानी रूप से उगाए जाते हैं। इस पौधे पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं और तने लंबे होते हैं। ये पौधे द्विपक्षीय रूप से सममित होते हैं जिनमें पाँच पंखुड़ियाँ होती हैं। वे सफेद, बैंगनी या गुलाबी रंग के हो सकते हैं।

पृष्ठभूमि

जीनस सेंटपौलिया का नाम वाल्टर, फ्रीहेर (बैरन) वॉन सेंट पॉल-इलेयर (Walter, Freiherr (baron) von Saint Paul-Illaire) को सम्मानित करने के लिए रखा गया था, जो एक जर्मन औपनिवेशिक अधिकारी थे और 1892 में जर्मन पूर्वी अफ्रीका (अब तंजानिया) में इस जीनस की खोज की थी।

IISER भोपाल

यह 2008 में मानव संसाधन और विकास मंत्रालय (अब, शिक्षा मंत्रालय) द्वारा स्थापित किया गया था। टाइम्स हायर एजुकेशन 2021 रैंकिंग में इस संस्थान को 26वें स्थान पर रखा गया है।

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