ऑपरेशन सनराइज 2 का आयोजन किन दो देशों की सेनाओं द्वारा किया गया?

उत्तर – भारत और म्यांमार

भारत और म्यांमार की सेनाओं ने अपनी सीमा के निकट के क्षेत्र में “ऑपरेशन सनराइज 2” का आयोजन किया, इसका आरम्भ 16 मई, 2019 को हुआ था। यह ऑपरेशन तीन सप्ताह तक चला। इस ऑपरेशन के दौरान कई आतंकी शिविरों को नष्ट किया गया। इस ऑपरेशन के तहत मणिपुर, नागालैंड और असम में सक्रीय आतंकी समूहों को निशाना बनाया गया। यह ऑपरेशन सनराइज का दूसरा संस्करण था।

मुख्य बिंदु

इस ऑपरेशन में भारतीय सेना की ओर से असम राइफल्स ने हिस्सा लिया। इस ऑपरेशन के दौरान दोनों देशों की सेनाओं ने NSCN-K (नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल ऑफ़ नागालैंड – खापलांग), कामतापुर लिबरेशन आर्गेनाईजेशन, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ़ असम (उल्फा) तथा नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ़ बोरोलैंड) इत्यादि के विरुद्ध कार्यवाही की गयी। इस ऑपरेशन के तहत उक्त आतंकी समूहों के 6 दर्ज़न आतंकियों को पकड़ा गया तथा कई आतंकी शिविरों को नष्ट किया गया।

ऑपरेशन सनराइज 1 का आयोजन फरवरी 2019 में भारत-म्यांमार सीमा के साथ किया गया था, इस ऑपरेशन में कई आतंकी शिविरों को नष्ट किया गया था। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने अरकान आर्मी (म्यांमार का आतंकी समूह) के विरुद्ध कार्यवाही की थी। यह आतंकी समूह कलादान मल्टीमोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट के खिलाफ था।

कलादान मल्टीमोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट

कलादान मल्टीमोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट  का उद्देश्य भारत के कलकत्ता को म्यांमार के सित्तवे बंदरगाह से जोड़ना है। इसके लिए सित्तवे बंदरगाह को म्यांमार में लाशियो से जोड़ा जायेगा, इसके बाद कालादन नदी पर नाव के द्वारा यात्रा की जा सकती है, इसके बाद लाशियो से मिजोरम तक सड़क मार्ग की सुविधा है। इस मार्ग के द्वारा मिजोरम और कलकत्ता के बीच की दूरी में लगभग 1000 किलोमीटर की कमी आएगी। इससे वस्तुओं की ढुलाई में लगने वाले समय में भी कमी होगी।

इस मार्ग के द्वारा मिजोरम को म्यांमार से होते हुए सामान भेजा जा सकता है। इसके अतिरिक्त कलकत्ता से मिजोरम तक सामान ले जाने में समय की बचत होगी तथा लागत भी कम आएगी। यह भारत की एक्ट-ईस्ट पालिसी का हिस्सा है। इसे दक्षिण-पूर्वी एशिया से भारत के व्यापारिक सम्बन्ध भी मज़बूत होंगे। आर्थिक, वाणिज्यिक तथा सामरिक लाभ के अलावा म्यांमार के विकास में भी इसकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

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