कर्नाटक में कनकदास जयंती (Kanakadasa Jayanthi) मनाई गई
कर्नाटक ने 15वीं शताब्दी के कवि, संत और समाज सुधारक श्री कनक दास (Kanaka Dasa) को श्रद्धांजलि देने के लिए 22 नवंबर, 2021 को “कनकदास जयंती” मनाई।
मुख्य बिंदु
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Basavaraja Bommai) ने बेंगलुरु में कनक दास की तस्वीर पर माल्यार्पण किया।
- कनक दास ने कीर्तन के माध्यम से सामाजिक समानता और न्याय की वकालत की थी।
- कागिनेले संत कनक दास का जन्मस्थान था। कर्नाटक सरकार ने वहां आने वाले लोगों की सुविधा के लिए इसका नवीनीकरण किया।
कनकदास जयंती (Kanakadasa Jayanthi)
यह त्योहार कर्नाटक के लोगों और कुरुबा समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह हर साल संत कनक दास की जयंती को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कर्नाटक सरकार ने इस दिन को राजकीय अवकाश घोषित किया है। वर्ष 2021 में उनकी 527वीं जयंती है।
कनक दास (Kanaka Dasa)
कनक दास एक हरिदास थे, और कर्नाटक संगीत, कवि, संगीतकार और दार्शनिक के प्रसिद्ध संगीतकार थे। वह अपने कीर्तन और उगाभोग, कर्नाटक संगीत की रचनाओं के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं के लिए सरल कन्नड़ भाषा का प्रयोग किया। उनका जन्म बांकापुरा के पास बड़ा गांव में हुआ था। उनके प्रारंभिक कार्यों में रामध्यान मंत्र, नरसिंह स्तोत्र और मोहनतरंगिणी जैसी कविताएँ शामिल हैं।
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