टीबी रोग के उन्मूलन के लिए भारत ने किस अंतर्राष्ट्रीय संगठन के साथ 400 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं?
उत्तर – विश्व बैंक
भारत ने विश्व बैंक के साथ के टीबी के उन्मूलन के लिए 400 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये। गौरतलब है कि भारत में प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख लोग टीबी के कारण मर जाते हैं। भारत ने 2025 तक टीबी को देश से समाप्त करने का महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा है। 400 मिलियन डॉलर के इस ऋण की परिपक्वता अवधि 19 वर्ष है, जबकि छूट अवधि 5 वर्ष है।
टीबी रोग
टीबी रोग को तपेदिक, क्षय जैसे कई नामों से जाना जाता है। तपेदिक संक्रामक रोग होता है जो माइकोबैक्टिरीअम टूबर्क्यूलोसस (mycobacterium tuberculosis) नामक जीवाणु के कारण होता है। मूल लक्षणों में खाँसी का तीन हफ़्तों से ज़्यादा रहना, थूक का रंग बदल जाना या उसमें रक्त की आभा नजर आना, बुखार, थकान, सीने में दर्द, भूख कम लगना, साँस लेते वक्त या खाँसते वक्त दर्द का अनुभव होना आदि। इस बीमारी से टीकाकरण या साफ सफाई रखने से बचा जा सकता है। यक्षमा के रोगी का इलाज संभव है लेकिन इसका इलाज पूरी तरह से करना चाहिए, आधा करके नहीं छोड़ना चाहिए, वरना ये रोग जानलेवा भी हो सकता है।
तपेदिक रोग होने के कारण
तपेदिक या टीबी कोई आनुवांशिक रोग नहीं है। यह किसी को भी हो सकता है। जब कोई स्वस्थ व्यक्ति तपेदिक रोगी के पास जाता है और उसके खाँसने, छींकने से जो जीवाणु हवा में फैल जाते हैं उसको स्वस्थ व्यक्ति साँस के द्वारा ग्रहण कर लेता है। इसके अलावा जो लोग अत्यधिक मात्रा में ध्रूमपान या शराब का सेवन करते हैं, उनमें इस रोग के होने की संभावना ज़्यादा होती है। इस रोग से बचने के लिए साफ-सफाई रखना और हाइजिन का ख्याल रखना बहुत ज़रूरी होता है।