भारत करेगा हिमालय के लिए क्षेत्रीय जलवायु केंद्र की स्थापना

भारत हिमालयी पर्वतीय क्षेत्र में एक क्षेत्रीय जलवायु केंद्र स्थापित करेगा। यह केंद्र भारत और इसके पड़ोसियों को मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा। इसी तरह का केंद्र चीन द्वारा हिमालय के निकट बनाया जा रहा है।
मुख्य बिंदु
भारत के पहाड़ी इलाकों में पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट, उत्तर पूर्व में म्यांमार की पहाड़ियाँ और हिमालय शामिल हैं। इन सभी में से, हिमालय की जल विज्ञान, आपदा प्रबंधन, मौसम विज्ञान और कई अन्य गतिविधियों में बड़ी भूमिका है। इसके कारण, हिमालय को “विश्व का तीसरा ध्रुव” कहा जाता है। यह केंद्र हिमालय में होने वाली भौतिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करेगा।
हिमालय में पिघलते ग्लेशियर एक बड़ी चिंता का विषय है। यह क्षेत्र में खाद्य, कृषि और स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। हिमनदों में परिवर्तन से, हिमालय की नाजुक जैव विविधता पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। यह केंद्र हिमालय में ग्लेशियरों की निगरानी भी करेगा।
यह केंद्र हिमालय में वर्षा के बारे में जानकारी एकत्र करेगा। पिछले कुछ समय में देखा गया है कि उत्तर-पश्चिमी हिमालय में अधिक वर्षा हो रही है। हिमालय के बाकी हिस्सों में मानसून के दौरान वर्षा होती है। इस क्षेत्र में बदलाव का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि यह क्षेत्र बाकी दुनिया की तुलना में तेज गति से गर्म हो रहा है। इस क्षेत्र में भारी वर्षा से बादल फटने की भयानक घटनाएँ हो सकती हैं।
इसलिए, यह केंद्र इन परिवर्तनों को धीमा करने के लिए आवश्यक उपाय करने में मदद करेगा।
इस केंद्र के अलावा, हिमालय की ऊँचाई पर स्थित ‘हिमांश’ पहले से ही हिमालय में मौसम अनुसंधान गतिविधियों पर कार्य कर रहा है।
अन्य प्रयास
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने इस क्षेत्र में अवलोकन नेटवर्क को बढ़ाने के लिए कई पहलें शुरू कर चुके हैं। इसमें स्वचालित मौसम केंद्र, राडार की तैनाती, क्षेत्र-विशिष्ट संख्यात्मक मॉडल का विकास शामिल है।