हेली-बोर्न सर्वे टेक्नोलॉजी (Heli-borne Survey Technology) क्या है?

केंद्रीय मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने 5 अक्टूबर, 2021 को अत्याधुनिक हेली-बोर्न सर्वेक्षण तकनीक (Heli-borne Survey Technology) लांच की।

मुख्य बिंदु 

  • भूजल प्रबंधन के लिए हेली सर्वेक्षण प्रौद्योगिकी (Heli Survey Technology) शुरू की गई थी।
  • पहले चरण में राजस्थान, पंजाब, गुजरात और हरियाणा राज्यों को हेली-बोर्न सर्वेक्षण किया जा रहा है।
  • राजस्थान के जोधपुर से 5 अक्टूबर को सर्वे शुरू किया गया था।

हेली सर्वेक्षण प्रौद्योगिकी (Heli Survey Technology)

  • यह तकनीक CSIR-NGRI हैदराबाद द्वारा विकसित की गई है।
  • शुष्क क्षेत्रों में भूजल स्रोतों का मानचित्रण करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक, हेली सर्वेक्षण प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा।
  • इस सर्वेक्षण से भूजल का पीने के लिए उपयोग करने में मदद मिलेगी।
  • हेली-बोर्न भूभौतिकीय मानचित्रण तकनीक (heli-borne geophysical mapping technique) उप-सतह के लिए जमीनी स्तर से 500 मीटर नीचे की गहराई तक हाई-रिज़ॉल्यूशन 3D छवि प्रदान करेगी।

परियोजना का उद्देश्य

इस परियोजना को संभावित भूजल स्रोतों का मानचित्रण करने और भारत के पानी की कमी वाले शुष्क क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए इसके प्रबंधन के उद्देश्य से विकसित किया गया है।

परियोजना के दो चरण

150 करोड़ दो चरणों में 150 करोड़ रुपये के मेगा प्रोजेक्ट लागू किए जाएंगे। इस परियोजना को लागू करने के लिए, CSIR ने “राष्ट्रीय एक्वीफर मैपिंग प्रोजेक्ट” (National Aquifer Mapping Project) के तहत जल शक्ति मंत्रालय के साथ सहयोग किया है। यह परियोजना जल जीवन मिशन परियोजना को लागू करने के लिए CSIR को उच्च दृश्यता प्रदान करेगी।

तकनीक का महत्व

स्रोत खोज से लेकर जल शोधन तक CSIR की जल प्रौद्योगिकियां “हर घर हल से जल” योजना के साथ-साथ “किसानों की आय के लक्ष्यों को दोगुना करने” में सकारात्मक योगदान देंगी।

भारत में शुष्क क्षेत्र

उत्तर पश्चिमी भारत में शुष्क क्षेत्र राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और पंजाब राज्यों में फैले हुए हैं। यह क्षेत्र भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 12% है और लगभग 8 करोड़ लोगों का घर है। शुष्क क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा 100 से 400 मिमी के बीच होती है। ऐसे में साल भर पानी की भारी किल्लत रहती है।

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