भारत और श्रीलंका ने ‘संसद मैत्री संघ’ (Parliament Friendship Association) को पुनर्जीवित किया

भारत और श्रीलंका ने अपने “संसदीय मैत्री संघ” (Parliament Friendship Association) को पुनर्जीवित किया है जिसके लिए मंत्री चमल राजपक्षे को इसके अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। मुख्य बिंदु इसे वर्तमान संसद के लिए पुनर्जीवित किया जा रहा है जो अगस्त 2020 में चुनी गई थी। पुनरुद्धार कार्यक्रम में, श्रीलंका के विदेश मंत्री

बरीदशाही वंश के सिक्के

कासिम बरीद ने बहमनी राजधानी में खुद को मंत्री बनाया था। वह 1490-91 में बीदर का शासक बना। उसने और उसके उत्तराधिकारियों ने कमजोर बहमनी शासकों अहमद शाह चतुर्थ, मुहम्मद शाह चतुर्थ, वलीउल्लाह और कलीमुल्लाह की आड़ में अपनी शक्ति बनाए रखी। बरीद शाही राजवंश के सिक्कों के आलेखों पर राजाओं की उपाधियाँ और नाम

आदिल शाही वंश के सिक्के

बीजापुर के सूबेदार युसूफ आदिल खान ने बहमनी राजधानी से खुद को अलग कर लिया और 1499 ई. में बीजापुर मे ओन आदिलशाही वंश की स्थापना की। उसने और उसके तीन उत्तराधिकारियों ने कोई भी सिक्का जारी नहीं किया। आदिल शाही राजवंश की सिक्का प्रणाली अली प्रथम के साथ 1557 ईस्वी -1580 ईस्वी में अपने

निजाम शाही वंश के सिक्के

महाराष्ट्र में अहमदनगर में निज़ाम शाही साम्राज्य का शासन था। यह दक्कन के उन पाँच मुस्लिम राज्यों में से एक था, जो बहमनी साम्राज्य के विघटन से उत्पन्न हुए थे। 1491 ई. में बहमनी साम्राज्य के पतन के बाद यह स्वतंत्र हो गया। अहमदनगर के गवर्नर अहमद निजाम-उल-मुल्क बेहरी के ‘शाह’ की उपाधि ग्रहण करने

बहमनी साम्राज्य के सिक्के

दिल्ली सल्तनत के दक्कन प्रांत ने दिल्ली के शासकों के खिलाफ विद्रोह कर दिया। चार वर्षों तक चले विद्रोहों की एक श्रृंखला के बाद अंततः 1346-1347 ई. में दक्कन क्षेत्र स्वतंत्र हुआ। इस प्रकार बहमनी साम्राज्य की स्थापना हुई। बहमनियों ने अद्वितीय प्रकार के सिक्के जारी किए। मुख्य रूप से सोने और चांदी के सिक्के