अनामय (Anamaya) : आदिवासी स्वास्थ्य सहयोग

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने हाल ही में “अनामय” नामक जनजातीय स्वास्थ्य सहयोग का शुभारंभ किया।

अनामय की मुख्य विशेषताएं

  • यह एक बहु-हिस्सेदारी धारक पहल है।
  • इसे जनजातीय मामलों के मंत्रालय के सहयोग से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया है।
  • इस पहल को बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और पिरामल फाउंडेशन द्वारा भी समर्थन दिया जाएगा।
  • इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारत में जनजातीय समुदायों के स्वास्थ्य और पोषण पर्यावरण-प्रणाली को बढ़ाना है।
  • यह पहल जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं की निगरानी के लिए जनजातीय स्वास्थ्य और एक जनजातीय स्वास्थ्य प्रकोष्ठ पर राष्ट्रीय परिषद का गठन करेगी।
  • साथ ही, अनामय जनजातीय स्वास्थ्य कार्य योजना (Tribal Health Action Plan) को लागू करेगा।
  • यह देश में जनजातीय समुदायों के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति को सुधारने के लिए सरकारी एजेंसियों और संगठनों के प्रयासों को बढ़ावा देगा।

हाल ही में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने मिलकर 2025 तक “टीबी मुक्त भारत” (TB Mukt Bharat) के लक्ष्य को पूरा करने के लिए जनजातीय तपेदिक पहल की शुरुआत की।

पहल की जरूरत

अभय बंग समिति (Abhay Bang Committee) ने “भारत में जनजातीय स्वास्थ्य” पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस समिति के निष्कर्ष इस प्रकार हैं:

  • 26 वर्षों में आदिवासी आबादी के बीच बाल मृत्यु दर आधी हो गई है।1988 में यह 90 पर थी और 2014 में यह घटकर 44 हो गयी है।
  • 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर्ज 1988 में 135 से घटकर 2014 में 57 तक पहुँच गयी है।
  • शेष भारत में तपेदिक का प्रसार प्रति 1,00,000 मामलों में 256 है।हालांकि, आदिवासी आबादी के मामले में, यह प्रति 100,000 पर 703 मामले हैं।
  • चार आदिवासी वयस्कों में से एक उच्च रक्तचाप से पीड़ित है।

समिति के निष्कर्षों से स्पष्ट है कि भारत में जनजातीय आबादी के स्वास्थ्य में सुधार की ओर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।

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