अलवर तिरुनगरी मंदिर, तिरुचेंदुर, तमिलनाडु
अलवर तिरुनगरी मंदिर, तिरुचेंदुर में स्थित नौ नव तिरुपतियों में से नौवां है। यह तीर्थस्थल नम्मलवार के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।
अलवर तिरुनागरी मंदिर, तिरुचेंदुर के देवता: यहाँ की छवि अनादि नातान या आदी पिरान है। यहाँ तायारों में आदि नाथ वल्ली और कुरुकुर वल्ली हैं। एक मंदिर है जो नम्मलवार और इमली के वृक्ष को समर्पित है जिसमें उन्होंने निवास किया था।
अलवर तिरूनागरी मंदिर, तिरुचेंदुर की किंवदंती: इंद्र को यहां अपने श्राप से मुक्ति मिली थी। ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मण ने इमली के पेड़ के रूप में अवतार लिया। विष्णु ब्रह्मचर्य के व्रत के तहत थे, जब लक्ष्मी ने उनसे शादी करने की इच्छा की, तो विष्णु ने उन्हें फूलों की माला के रूप में स्वीकार किया।
मंदिर: इस मंदिर में 5 एकड़ का क्षेत्र शामिल है, जिसमें तीन प्रकारम और एक पांच-स्तरीय राजगोपुरम हैं। तिरुमंजना मंडपम, तिरुममनी मंडपम और कन्नडी मंडपम भव्य हैं। यहां राम, वेणुगोपाला, नरसिम्हर, वराह को समर्पित मंदिर हैं। इस मंदिर में पत्थर से बना एक नादस्वरम है। इस मंदिर को बुद्धस्थलम (पारा) के रूप में माना जाता है और तिरुनेलवेली क्षेत्र में नौवां दिव्यदेसम् होने के कारण, इसे स्वयं परमपद माना जाता है।
अलवर तिरुनागरी मंदिर, तिरुचेंदुर के त्यौहार: प्रत्येक अलवर का उत्सव यहाँ मनाया जाता है। वैयासी के तमिल महीने में गरुड़ सेवई (विशाखा तारकवाद – नम्मलवार का जन्मदिन) भव्य गरुड़ सेवई का गवाह है, जहां सभी नौ नव तिरुपति के त्यौहार के चित्र यहां मिलते हैं।