अल्ट्रा-लॉन्ग-पीरियड मैग्नेटर (Ultra-long-period Magnetar) क्या है?

हाल ही में, इंटरनेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी रिसर्च (International Centre for Radio Astronomy Research) के कर्टिन यूनिवर्सिटी नोट के साथ खगोलविदों को एक वस्तु (object) मिली, जिसे “अल्ट्रा-लॉन्ग-पीरियड मैग्नेटर” (Ultra-long-period Magnetar) कहा जाता है।

मुख्य बिंदु 

  • उनके अवलोकन के दौरान कुछ घंटों में वस्तु (object) दिखाई दे रही थी और गायब हो रही थी।
  • यह लगभग 4,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।
  • यह खोजी गई वस्तु सूर्य से भी ज्यादा चमकीली और छोटी है। यह अत्यधिक ध्रुवीकृत रेडियो तरंगों (highly-polarized radio waves) का उत्सर्जन कर रही था, जिससे पता चलता है कि इस वस्तु में एक अत्यंत मजबूत चुंबकीय क्षेत्र था।
  • यह एक प्रकार का धीमा घूमने वाला न्यूट्रॉन तारा (neutron star) है।

ब्रह्मांड में इस तरह के पिंडों को दिखाई देना और फिर गायब हो जाना खगोलविदों के लिए कोई नई बात नहीं है। खगोलविद ऐसी वस्तुओं को “क्षणिक” (transient) कहते हैं। क्षणिक दो प्रकार के होते हैं:

  1. धीमी गति से चलने वाले ट्रांज़िएंट  – उदाहरण के लिए, सुपरनोवा। वे कुछ दिनों में दिखाई देते हैं और कुछ महीनों के बाद गायब हो जाते हैं।
  2. तेज़ ट्रांज़िएंट – तेज़ ट्रांज़िएंट एक प्रकार के न्यूट्रॉन स्टार की तरह होते हैं जिन्हें पल्सर कहा जाता है। वे सेकंड या मिलीसेकंड के भीतर दिखाई देते और और बंद हो जाते हैं।

मैग्नेटर क्या है?

मैग्नेटर (magnetar) एक प्रकार का न्यूट्रॉन तारा है, जिसमें एक अत्यंत शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) होता है। चुंबकीय-क्षेत्र क्षय उच्च-ऊर्जा विद्युत चुम्बकीय विकिरण, विशेष रूप से गामा किरणों और एक्स-रे के उत्सर्जन को शक्ति देता है। इन वस्तुओं पर सिद्धांत 1992 में क्रिस्टोफर थॉम्पसन और रॉबर्ट डंकन द्वारा प्रस्तावित किया गया था। इस सिद्धांत को बाद में बोहदान पैक्ज़िन्स्की (Bohdan Paczynski) द्वारा विकसित किया गया था। इस सिद्धांत ने बड़े मैगेलैनिक बादल से गामा किरणों के फटने की व्याख्या की। 2020 में एक मैग्नेटर से एक तेज़ रेडियो बर्स्ट (FRB) का पता चला था।

न्यूट्रॉन तारा क्या है?

एक न्यूट्रॉन तारा 10 से 25 सौर द्रव्यमान के कुल द्रव्यमान के साथ विशालकाय तारे का ढह चुका कोर (collapsed core of massive supergiant star) है। ये तारे तारकीय पिंडों का सबसे छोटा और सबसे घना ज्ञात वर्ग हैं।

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