आखिर त्रिपुरा में ब्रू जनजाति के खिलाफ विरोध क्यों हो रहा है?

त्रिपुरा के कुछ हिस्सों में ब्रू जनजाति के लोगों के प्रस्तावित पुनर्वास के कारण हाल ही में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ब्रू या रियांग जनजाति उत्तर पूर्व की एक जनजाति है, वे लोग त्रिपुरा, असम और मिजोरम राज्यों में रहते हैं। त्रिपुरा में, इस समुदाय को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह के रूप में मान्यता प्राप्त है। मिजोरम में, इसे जातीय संगठनों द्वारा निशाना बनाया जाता है, उन्होंने ब्रू लोगों को मतदाता सूची से बाहर करने की मांग की और इस जनजाति को त्रिपुरा में पलायन करने के लिए मजबूर किया। त्रिपुरा में उनका स्थायी बंदोबस्त सुनिश्चित करने के लिए इस साल केंद्र और दोनों राज्यों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।  त्रिपुरा में बंगाली और मिज़ो समूहों ने इसका विरोध किया।

त्रिपुरा में इसका विरोध क्यों हो रहा है?

1997 में, जातीय संघर्ष के कारण लगभग 37,000 ब्रू आदिवासी लोगों ने मिजोरम से त्रिपुरा के लिए पलायन किया। लगभग 5,000 लोग मिजोरम लौट आए हैं और बाकी के 32000 त्रिपुरा में शिविरों में बस गए हैं। जनवरी 2020 में, त्रिपुरा और मिजोरम की राज्य सरकारों और केंद्र सरकार और ब्रू प्रतिनिधियों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के अनुसार, शिविरों में रहने वाले 32,000 लोगों को स्थायी रूप से त्रिपुरा राज्य में बसाया जायेगा है। इस समझौते का मिज़ो समूहों और त्रिपुरा राज्य में बंगाली समुदाय के लोगों ने कड़ा विरोध किया। उनके अनुसार राज्य में स्थायी रूप से इन प्रवासियों को बसाने से जनसांख्यिकीय असंतुलन, कानून और व्यवस्था की समस्याएं पैदा होंगी और स्थानीय संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा।

ब्रू कौन हैं?

ब्रू पूर्वोत्तर भारत में रहने वाले भारतीय चीनी समुदाय हैं, जो ज्यादातर असम, त्रिपुरा, मिजोरम राज्यों में हैं। मिजोरम में, इन आदिवासियों को जातीय संगठनों द्वारा निशाना बनाया जाता रहा है। उनकी मांग है कि ब्रू को मतदाता सूची से बाहर रखा जाना चाहिए। त्रिपुरा में, इन आदिवासियों को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह के रूप में मान्यता प्राप्त है।

ब्रू जनजातीय पुनर्वास योजना क्या है?

जनवरी 2020 में हस्ताक्षरित समझौते के अनुसार, त्रिपुरा राज्य ने 6 जिलों में 12 पुनर्वास स्थलों की योजना बनाई है। केंद्र सरकार ब्रू की विशेष विकास परियोजनाओं के लिए 600 करोड़ रुपये का फंड देगी। प्रत्येक पुनर्वासित परिवार को 1.5 लाख रुपये आवास सहायता, घर बनाने के लिए 0.03 एकड़ भूमि और 4 लाख रुपये एकमुश्त नकद लाभ प्रदान किया जायेगा। इसके अलावा, पुनर्वासित परिवार को पुनर्वास की तारीख से दो साल के लिए मुफ्त राशन और 5000 रुपये मासिक भत्ता भी प्रदान किया जाएगा।

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