आखिर भारत ने अमेरिका से लीज पर प्रिडेटर ड्रोन क्यों लिए?

हाल ही में भारतीय नौसेना ने दो अमेरिकी प्रिडेटर ड्रोन्स को अपने बड़े में शामिल किया। इन दो ड्रोन्स को भारतीय नौसेना के आईएनएस राजाली एयरबेस से ऑपरेट किया जायेगा। इन ड्रोन को एक साल की अवधि के लिए लीज पर लिया गया है।

मुख्य बिंदु

इन ड्रोन्स के भारत आने की पूरी प्रक्रिया काफी गुप्त थी, इसके बारे में जानकारी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध नही थी। इन ड्रोन्स को नौसेना में शामिल करने के बाद इसकी खबर सार्वजनिक हुई।

लीज पर इन ड्रोन को नौसेना में शामिल करने के साथ, इस ड्रोन बनाने वाली कंपनी ने अपने विशेषज्ञों की एक टीम भी तैनात की है। यह टीम भारतीय अधिकारियों को प्रशिक्षित करेगी।

प्रिडेटर ड्रोन एक बेहद काबिल ड्रोन है, यह 30 घंटे तक सर्विलांस का काम कर सकता है। इन ड्रोन्स को पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर भी तैनात किया जा सकता है।

हाल ही में रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 के तहत हथियारों को लीज पर लेने का विकल्प प्रस्तुत किया गया था। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि खर्च को कम किया जा सके और उपकरण का मरम्मत कार्य वेंडर ही संभालें।

प्रिडेटर ड्रोन (General Atomics MQ-1 Predator)

यह दूर से कण्ट्रोल किया जाने वाला एक ड्रोन है, इसका निर्माण जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स द्वारा किया जाता है। इन ड्रोन को अमेरिकी वायुसेना और सीआईए द्वारा बड़े पैमाने पर किया जाता है। भारत ने जो ड्रोन नौसेना में शामिल किये हैं वे प्रिडेटर ड्रोन श्रृंखला के ‘सी गार्डियन’ ड्रोन हैं। भारत द्वारा लीज पर लिए गये ड्रोन में हथियार नहीं हैं, इनका उपयोग केवल सर्विलांस के लिए किया जायेगा।

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1 Comment on “आखिर भारत ने अमेरिका से लीज पर प्रिडेटर ड्रोन क्यों लिए?”

  1. Bhawesh Tiwary says:

    Very useful facts, please provide current affirs and sciece and tech quesions in pdf form

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