आखिर भारत “परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि” का समर्थन क्यों नहीं कर रहा है?
भारत ने हाल ही में एक घोषणा की कि वह “परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि” का समर्थन नहीं करता है और यह संधि के लिए बाध्य नहीं है।
मुख्य बिंदु
- संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने वर्ष 2017 में “परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि” को मंजूरी दी थी।
- हालाँकि, परमाणु हथियार रखने वाले नौ देशों ने इसका समर्थन नहीं किया है।
- नाटो गठबंधन द्वारा भी इस संधि का समर्थन नहीं किया गया था।
- उसके बावजूद, संधि 22 जनवरी, 2021 को लागू हुई।
भारत का रुख
- भारत का कहना है कि, यह उच्च प्राथमिकता प्रदान करता रहेगा और सार्वभौमिक, गैर-भेदभावपूर्ण और सत्यापन योग्य परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।
- विदेश मंत्रालय ने आगे कहा, क्योंकि भारत ने परमाणु हथियार निषेध पर संधि पर वार्ता में भाग नहीं लिया, इसलिए भारत इस संधि का हिस्सा नहीं बनेगा।
- हालाँकि, भारत ने “व्यापक परमाणु हथियार निरस्त्रीकरण सम्मेलन सम्मेलन” (Comprehensive Nuclear Weapons Convention in the Conference on Disarmament) पर वार्ता शुरू करने के लिए अपना समर्थन दिखाया था।यह एकमात्र बहुपक्षीय निरस्त्रीकरण वार्ता मंच है जो सर्वसम्मति के आधार पर काम करता है।
परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि (Treaty on the Prohibition of Nuclear Weapons-TPNW)
परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि (Treaty on the Prohibition of Nuclear Weapons-TPNW) को शुरू में जुलाई 2017 में अपनाया गया था और जनवरी 2021 में लागू हुआ। इस संधि का मुख्य उद्देश्य परमाणु हथियारों के उपयोग पर रोक लगाना है।
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