आत्महत्याओं पर NCRB की रिपोर्ट : मुख्य बिंदु
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau – NCRB) ने हाल ही में “Accidental Deaths & Suicides in India, 2020” शीर्षक से अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की। वर्ष 2020 में भारत में आत्महत्याओं की संख्या 2019 के आंकड़ों की तुलना में 10% बढ़कर 1,53,052 हो गई है।
मुख्य निष्कर्ष
- इस रिपोर्ट के अनुसार छात्रों में आत्महत्याओं में 21.20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- कुल संख्या में, दैनिक वेतन भोगियों की कुल आत्महत्याओं में सबसे बड़ी हिस्सेदारी थी। 2020 में यह संख्या 37,666 थी।
- 2020 में आत्महत्या की संख्या 1982 के बाद सबसे अधिक थी। 1981 के आंकड़ों की तुलना में इसमें 11.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- आत्महत्या की दर 2019 में 10.4 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2020 में 11.3 प्रतिशत हो गई है। आत्महत्या दर को प्रति लाख जनसंख्या पर आत्महत्या की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है।
- 2014 और 2020 के बीच दैनिक वेतन भोगियों के बीच आत्महत्या की हिस्सेदारी दोगुनी हो गई है।
छात्रों के बीच आत्महत्या
- 1995 के बाद से छात्रों में आत्महत्या का स्तर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
- साल 2019 में 10,335 मामले सामने आए। 2020 में यह संख्या बढ़कर 14,825 हो गई।
- प्रतिशत के लिहाज से, इसी अवधि में छात्रों में आत्महत्या की हिस्सेदारी 7.4% से बढ़कर 8.2% हो गई।
2014 और 2020 के बीच दैनिक वेतन भोगियों के बीच आत्महत्याओं की हिस्सेदारी दोगुनी हो गई है। वर्ष 2014 में, उनकी हिस्सेदारी 12 प्रतिशत थी जो 2019 में बढ़कर 23.4 प्रतिशत हो गई। तमिलनाडु ने दैनिक वेतन भोगियों के बीच आत्महत्या की सबसे बड़ी संख्या की सूचना दी। इसके बाद मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और गुजरात का स्थान है।
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