इंडोनेशिया का डॉन स्कूल ट्रायल (Dawn School Trial) क्या है?

डॉन स्कूल का परीक्षण इंडोनेशिया के कुपांग (Kupang) शहर में लागू किया गया एक विवादास्पद प्रयोग है। क्षेत्र के 10 स्कूलों में लागू की गई इस पायलट परियोजना में 12वीं कक्षा के छात्रों में “अनुशासन को मजबूत करने” के प्रयास में सुबह 5:30 बजे शुरू होने वाली कक्षाओं में बच्चों भाग लेना पड़ता है। हालाँकि, इस योजना के परिणामस्वरूप छात्रों में नींद की कमी हो गई है, माता-पिता और विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य संबंधी खतरों पर चिंता जताई है।

छात्रों में नींद की कमी और स्वास्थ्य संबंधी खतरे

इस पायलट प्रोजेक्ट में भाग लेने वाले छात्रों को समय पर स्कूल पहुंचने के लिए सुबह 4 बजे उठना पड़ता है। इससे छात्रों में नींद की कमी हो गई है, जिससे मोटापा, अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, माता-पिता ने अपने बच्चों की सुरक्षा के बारे में चिंता जताई है, जिन्हें घनघोर अँधेरे में स्कूल जाना पड़ रहा है।

पायलट प्रोजेक्ट की आलोचना

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के प्रयास के साथ सहसंबंध की कमी के लिए इस पायलट परियोजना की आलोचना की गई है। इसके बजाय, नींद की कमी लंबे समय में छात्रों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है और व्यवहार में बदलाव ला सकती है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स द्वारा 2014 में जारी एक शोध में सकारात्मक परिणाम सुनिश्चित करने के लिए हाई-स्कूल और मिडिल-स्कूल के छात्रों की कक्षाएं सुबह 8:30 बजे या बाद में शुरू करने की सिफारिश की गई थी।

इस नीति को समाप्त करने के आह्वान के बावजूद, स्थानीय सरकार अभी भी अपने प्रयोग को जारी रखे हुए है। प्रयोग को स्थानीय शिक्षा एजेंसी तक भी बढ़ा दिया गया है, जहाँ सिविल सेवक अब अपना दिन सुबह 5:30 बजे शुरू करते हैं।

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