ओडिशा ट्रेन दुर्घटना क्यों हुई, जानिए इसकी वजह?
ओडिशा के बालासोर में हाल ही में हुई ट्रेन दुर्घटना ने रेलवे प्रणाली में लागू किए गए सुरक्षा उपायों और इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया है।
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग का उद्देश्य
रेलवे प्रणाली में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है। इसका प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करके ट्रेनों के बीच परस्पर विरोधी आंदोलनों को रोकना है कि सिगनल अनुचित क्रम में नहीं बदले गए हैं। इस प्रणाली का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मार्ग सुरक्षित साबित होने पर ही ट्रेनों को आगे बढ़ने का संकेत मिले।
ट्रेन हादसे की वजह
बालासोर में दुखद रेल दुर्घटना इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण हुई थी। दुर्घटना इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रक्रिया के दौरान हुए बदलाव के कारण हुई थी। विवरण निर्धारित करने और जिम्मेदार लोगों की पहचान करने के लिए फिलहाल एक जांच चल रही है।
जांच की जिम्मेदारी
रेल सुरक्षा आयुक्त को ट्रेन हादसे की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह निकाय घटना की गहन जांच करेगा, सबूत इकट्ठा करेगा और दुर्घटना में योगदान देने वाले कारकों का निर्धारण करेगा।
हताहतों की संख्या और ट्रेन भागीदारी
दुख की बात है कि ट्रेन दुर्घटना में 288 लोगों की जान चली गई, जबकि 1000 से अधिक लोग घायल हो गए। इस घटना में तीन अलग-अलग ट्रेनें शामिल थीं: बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी। यात्री ट्रेनों के सत्रह डिब्बे पटरी से उतर गए और गंभीर क्षति हुई।
बचाव कार्यों में शामिल इकाइयां
कई इकाइयों की सहायता से बचाव अभियान चलाया गया। सात राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) टीमों, पांच ओडिशा आपदा रैपिड एक्शन फोर्स (ODRF) इकाइयों, और 24 अग्निशमन सेवाओं और आपातकालीन इकाइयों ने बचाव और राहत प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लिया।
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