ओमान-भारत मैत्री संघ क्या है?

ओमान ने हाल ही में भारत के साथ मैत्री संबंध स्थापित करने की घोषणा की है। यह पश्चिम एशिया में यह इस तरह की पहल होगी। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच आयोजित द्विपक्षीय चर्चा के दौरान इसकी घोषणा की गई। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा यह द्विपक्षीय चर्चा वर्चुअली आयोजित की गई थी। इस द्विपक्षीय चर्चा के दौरान, दोनों देशों ने अपने आर्थिक सहयोग, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की समीक्षा की।

ओमान-भारत मैत्री संघ

इस संघ का उद्देश्य दोनों देशों के व्यापारिक और सामाजिक समुदायों के बीच आपसी हित के मामलों को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करना होगा।

भारत-ओमान सम्बन्ध

2018 में, पीएम मोदी ने ओमान का दौरा किया और रक्षा, ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा, व्यापार, निवेश और क्षेत्रीय मुद्दों में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाया।

दिसंबर 2019 में, भारत और ओमान ने समुद्री परिवहन समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते ने भारत को दक्षिणी हिंद महासागर, पश्चिमी हिंद महासागर, पूर्वी अफ्रीका और फारस की खाड़ी में अपने पहुँच का विस्तार करने में सक्षम बनाया। यह भारत के इंडो-पैसिफिक विजन का एक हिस्सा है। इसके अलावा भारतीय नौसेना को डुकम पोर्ट तक पहुंच प्रदान की गई है। डुकम बंदरगाह हिंद महासागर में स्थित सबसे बड़ा समुद्री बंदरगाह है। भारत ओमान में कई परियोजनाओं की योजना बना रहा है। इसमें सेबासिक एसिड प्लांट शामिल है (जो मध्य-पूर्व में सबसे बड़ा है), यह परियोजना 1.2 बिलियन डॉलर की है। इसके अलावा, “लिटिल इंडिया” नामक एक एकीकृत पर्यटन परिसर का निर्माण 78 मिलियन अमरीकी डालर के तहत किया जाना जायेगा।

ओमान का महत्व

ओमान अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए एक आदर्श स्थान है क्योंकि इसमें हिंद महासागर के सभी 1,700 किलो मीटर समुद्री तट के साथ औद्योगिक हब स्थापित हैं। ओमान में चार औद्योगिक मुक्त क्षेत्र हैं और चार समुद्री बंदरगाह हिंद महासागर से जुड़े हुए हैं। ओमान के औद्योगिक मुक्त क्षेत्र में 30 साल के कॉर्पोरेट टैक्स में छूट, मुनाफे के प्रत्यावर्तन पर कोई प्रतिबंध नहीं, कोई आयकर नहीं, मुद्रा विनिमय स्वतंत्रता की सुविधाएँ हैं।

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