कंजानूर मंदिर, कुंभकोणम, तमिलनाडु

कंजानूर मंदिर, सुखरन के साथ जुड़ा हुआ है – यह पौधा शुक्र है और नवग्रहों से जुड़े तंजावुर के नौ मंदिरों में से एक माना जाता है। इस तीर्थस्थल को पलासवनम, भ्राममपुरी और अग्निस्तलम भी कहा जाता है। कावेणूर को नदी के उत्तर में चोल नाडु में स्थित तेवरा स्थलम की श्रृंखला में 36 वां माना जाता है।

किंवदंती- ब्रह्मा को शिव की यहां पार्वती के साथ विवाह का आशीर्वाद मिला था। अग्नि ने यहां शिव की आराधना की और इसलिए इसका नाम अग्नेश्वरेश्वर पड़ा।

मंदिर: इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो प्राम्कर और पाँच तीरों वाला राजगोपुरम है। चित्र हरदत्त शिवाचार्य से संबंधित किंवदंतियों को दर्शाते हैं। यहां मणक्कनकंजर नयनमार और कालिकामार को समर्पित मंदिर भी हैं।

नटराज सभा में नटराज और शिवकामी की पत्थर की छवियां और इसे मुक्ति मंडपम कहा जाता है। शिवतांडवम को मुक्ति तांडवम कहा जाता है। किंवदंती है कि शिव ने परसरामुनी को लौकिक नृत्य की दृष्टि से आशीर्वाद दिया। इस मंदिर में चोल और विजयनगर काल के शिलालेख देखे जा सकते हैं।

त्यौहार: हरदत्त सिवाचार्यर को मनाने वाला एक त्यौहार हर साल थाई के तमिल महीने में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि, अरुद्र दरिसनम, नवरात्रि और आदी पुरम भी यहाँ मनाए जाते हैं।

Advertisement

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *