कार्बन कैप्चर के लिए समाधान प्रदान करेगा कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण
जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च (Jawaharlal Nehru Centre for Advanced Scientific Research) के वैज्ञानिकों के एक दल ने एक ऐसी विधि खोजी है जो प्रकाश संश्लेषण की तरह कार्य करती है।
मुख्य बिंदु
वातावरण से अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने के लिए कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण विधि विकसित की गई है। यह विधि सौर ऊर्जा का उपयोग करती है और कैप्चर किए गए कार्बन डाइऑक्साइड को कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) में परिवर्तित करती है। बदले में कार्बन मोनोऑक्साइड का उपयोग आंतरिक दहन इंजन (internal combustion engines) के लिए ईंधन के रूप में किया जा सकता है।
कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण प्रणाली (Artificial Photosynthesis System)
वैज्ञानिकों की टीम ने एकीकृत उत्प्रेरक प्रणाली का डिजाइन और निर्माण किया है जो धातु-आर्गेनिक ढांचे (MOF-808) पर आधारित है। सिस्टम में एक फोटोसेंसिटाइज़र होता है। फोटोसेंसिटाइज़र सौर ऊर्जा और उत्प्रेरक केंद्र का उपयोग कर सकता है। यह बदले में कार्बन डाइऑक्साइड कम करता है ।
फोटोसेंसिटाइज़र (Photosensitizer)
फोटोसेंसिटाइज़र वह अणु है जो प्रकाश को अवशोषित करता है और इलेक्ट्रॉन को घटना प्रकाश से पास के अणु में स्थानांतरित करता है। इसे रासायनिक रूप से ruthenium bipyridyl complex ([Ru(bpy)2Cl2]) कहा जाता है। इसमें रेनियम कार्बोनिल कॉम्प्लेक्स ([Re (CO) 5Cl]) नामक एक उत्प्रेरक भाग भी शामिल है।
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