कावेरी दक्षिण वन्यजीव अभयारण्य को अधिसूचित किया गया

कावेरी दक्षिण वन्यजीव अभयारण्य को हाल ही में तमिलनाडु की राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया। राज्य सरकार ने पहले काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य, नंजारायण पक्षी अभयारण्य, कदवुर स्लेंडर लोरिस अभयारण्य और डुगोंग संरक्षण रिजर्व को अधिसूचित किया था।

कावेरी दक्षिण वन्यजीव अभयारण्य (Cauvery South Wildlife Sanctuary)

  • कृष्णागिरी और धर्मपुरी के आरक्षित वनों में एक क्षेत्र को कावेरी दक्षिण वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया है।
  • यह घोषणा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 26ए(1)(बी) के तहत की गई थी।
  • यह तमिलनाडु का 17वां वन्यजीव अभयारण्य होगा।
  • यह नव अधिसूचित वन्यजीव अभयारण्य 686.406 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है।
  • यह 35 स्तनपायी प्रजातियों और 238 पक्षी प्रजातियों का घर है। 

महत्व

  • कावेरी दक्षिण वन्यजीव अभयारण्य तमिलनाडु के कावेरी उत्तर वन्यजीव अभयारण्य को पड़ोसी राज्य कर्नाटक में कावेरी वन्यजीव अभयारण्य से जोड़ता है।
  • यह कावेरी नदी बेसिन में वन्यजीवों के लिए संरक्षित क्षेत्रों का एक बड़ा, सन्निहित नेटवर्क बनाता है।
  • यह मलाई महादेश्वर वन्यजीव अभयारण्य, कर्नाटक के बिलिगिरी रंगास्वामी मंदिर टाइगर रिजर्व और तमिलनाडु के सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व और इरोड वन डिवीजन के माध्यम से नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व में और निरंतरता बनाता है।
  • यह नया अधिसूचित अभ्यारण्य हाथियों का एक महत्वपूर्ण आवास है। यह दो हाथी गलियारों की मेजबानी करता है – नंदीमंगलम-उलीबांडा गलियारा और कोवाइपल्लम-अनेबिद्दाहल्ला गलियारा।
  • कावेरी नदी पर निर्भर रहने वाली नदी प्रजातियों के संरक्षण के लिए कावेरी बेसिन का पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण महत्वपूर्ण है।
  • इस क्षेत्र में संरक्षण के प्रयास आवास की सुरक्षा और बहाली, मिट्टी के कटाव को कम करने का प्रयास करेंगे।

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