किसानों की आय दोगुना करने के लिए सोलर ऊर्जा मार्ग
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मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का निश्चय किया है। लेकिन वर्तमान कृषि राज्य मंत्री की रिपोर्ट के अनुसार किसानों की आय दोगुना करने के सरकार के उपाय काफी नहीं है। ऐसे में वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण मे कहा कि आखिर अन्न दाता ऊर्जा दाता क्यों नहीं बन सकता।
सौर ऊर्जा के लिए भारत की कोशिश
2022-23 तक शेष चार वर्षों में किसान की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए किसानों की वास्तविक आय में 13-15 प्रतिशत प्रति वर्ष की वृद्धि होनी चाहिए। ये कठिन लगता है लेकिन असंभव नहीं।
भारत ने 2022 तक 100 GW तक सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। अधिकतर लक्ष्य को पूरा करने की रणनीति बड़े निवेशकों द्वारा संचालित होती है जिनके साथ सरकार ने बिजली खरीद समझौते (PPA) किया है। इसका फायदा कुछ निवेशकों को होने के कारण यह गैर- समावेशी बिल है। \
किसानों की आय बढ़ाने के लिए सौर ऊर्जा
भारत के सौर ड्राइव को और अधिक समावेशी बनाने के लिए एक वैकल्पिक मॉडल प्रस्तावित किया गया है जिसमें किसानों को अपनी भूमि पर सौर ऊर्जा का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। यह अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाएगा।
भारत में किसानों के पास अधिक ज़मीनें हैं , इसलिए किसानों को सौर ऊर्जा में शामिल में करने से न केवल सौर ऊर्जा में बढ़ोत्तरी होगी बल्कि किसानों की आय भी बढ़ेगी।
सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ किसानों को एकीकृत करना: तरीके और साधन
- सभी पम्पसेट , विशेष रूप से डीजल वालों को सोलर ऊर्जा के पंप सेट के साथ बदलना और उससे उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को राज्य खरीद सकता है।
- किसानों को अपनी ज़मीन पर लगभग 10-12 फीट की ऊँचाई पर “सौर पेड़” उगाने के लिए प्रोत्साहित करना कि नीचे पौधों के लिए पर्याप्त धूप आती रहे। इससे किसान दो सिंचित फसलें उगा सकता है जैसा कि वह कर रहा है, लेकिन सौर पेड़ से बहुत अधिक बिजली पैदा होती है जिसे राज्य सरकार खरीद सकती है।
दिल्ली मॉडल
दिल्ली LG ने किसानों को सौर ऊर्जा के साथ एकीकृत करने में गहरी दिलचस्पी ली और दिल्ली के एग्री-बेल्ट में एक प्रदर्शन प्लॉट विकसित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
- उनकी गणना के अनुसार लगभग 500 सौर पेड़ किसानों की एक एकड़ जमीन पर लगाए जा सकते हैं।
- सौर वृक्षों के लिए निवेश अन्य व्यापारिक लोगों द्वारा किया जाएगा और किसान को यह सुनिश्चित करना होगा कि 25 वर्षों तक वह अपनी भूमि को अन्य उपयोगों में परिवर्तित नहीं करेगा।
- आर्थिक गणना ने सुझाव दिया कि किसानों को शुद्ध आय के रूप में प्रति वर्ष एक लाख रुपये प्रति एकड़ दिया जा सकता है, अगले 25 वर्षों के लिए हर साल छह प्रतिशत की वृद्धि होगी।
- इस प्रकार यह किसानों की आय दोगुनी कर सकेगा।