‘कृत्रिम सूर्य’ (artificial sun): जानिए क्या है चीन का नया प्रयोग?
चीन ने अपने “कृत्रिम सूर्य” (artificial sun) को आगे बढ़ाने के लिए परमाणु संलयन प्रयोग (nuclear fusion experiment) किया।
मुख्य बिंदु
- प्रायोगिक उन्नत सुपरकंडक्टिंग टोकामक (Experimental Advanced Superconducting Tokamak – EAST) हीटिंग सिस्टम को दिसंबर 2021 में हेफ़ेई भौतिक विज्ञान संस्थान द्वारा शुरू कर दिया गया था।
- कृत्रिम सूरज (artificial sun) या सहायक हीटिंग सिस्टम (auxiliary heating system) को ‘गर्म और अधिक टिकाऊ’ बनाने के उद्देश्य से ईस्ट हीटिंग सिस्टम प्रयोग किया गया था।
- चीन ने एक बड़े डोनट के आकार की इंस्टालेशन पर लगभग 6 बिलियन युआन खर्च किए, जिसे टोकामक (Tokamak) कहा जाता है।
- टोकामक हाइड्रोजन आइसोटोप को प्लाज्मा में उबालने के लिए अत्यधिक उच्च तापमान का उपयोग करता है और फिर ऊर्जा को छोड़ने के लिए उन्हें एक साथ फ्यूज करता है।
- यदि जारी की गई ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है, तो इसके लिए केवल थोड़ी मात्रा में ईंधन की आवश्यकता होगी और इसमें कोई रेडियोधर्मी अपशिष्ट (radioactive waste) नहीं बनेगा।
पृष्ठभूमि
- EAST प्रणाली परमाणु संलयन (nuclear fusion) की प्रक्रिया को दोहराती है, जो 2006 में चालू हुई थी।
- इस प्रयोग ने जून 2021 में 160 मिलियन डिग्री सेल्सियस के तापमान पर पहुंचकर एक रिकॉर्ड तोड़ दिया, जो सूर्य से दस गुना अधिक गर्म था।
Experimental Advanced Superconducting Tokamak (EAST)
EAST हेफ़ेई, चीन में स्थित एक सुपरकंडक्टिंग टोकामक चुंबकीय संलयन ऊर्जा रिएक्टर (superconducting tokamak magnetic fusion energy reactor) है। चीनी विज्ञान अकादमी के लिए हेफ़ेई भौतिक विज्ञान संस्थान द्वारा प्रयोग किए जा रहे हैं। यह 2006 से चालू है। EASTपहला टोकामक है, जो सुपरकंडक्टिंग टॉरॉयडल और पोलोइडल मैग्नेट का उपयोग करता है।
EAST प्रयोग को चीन के पहले सुपरकंडक्टिंग टोकामक उपकरण (superconducting tokamak device) के बाद शुरू किया गया, जिसे HT-7 कहा जाता है। इसे 1990 के दशक में रूस के सहयोग से इंस्टीट्यूट ऑफ प्लाज्मा फिजिक्स द्वारा बनाया गया था। यह परियोजना 1996 में प्रस्तावित की गई थी जबकि 1998 में इसे स्वीकृति प्राप्त हुई थी। इसका निर्माण मार्च 2006 में पूरा हुआ था। पहला प्लाज्मा सितंबर 2006 में हासिल किया गया था।
ITER Project
चीन ITER परियोजना का सदस्य है। यह सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसके लिए 35 देशों ने सहयोग किया है। यह परियोजना फ्रांस में विकसित की जा रही है। इस परियोजना के तहत देश दुनिया के सबसे बड़े टोकामक का निर्माण कर रहे हैं। टोकामक एक चुंबकीय संलयन उपकरण (magnetic fusion device) है, जिसे ऊर्जा के बड़े पैमाने पर और कार्बन मुक्त स्रोत के रूप में संलयन की व्यवहार्यता को साबित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह उसी सिद्धांत पर आधारित है जो सूर्य और सितारों को शक्ति प्रदान करता है।
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