केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव ईंधन नीति (Biofuels Policy) में संशोधन किया
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 में संशोधन किया है।
मुख्य बिंदु
पेट्रोल में 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग हासिल करने का लक्ष्य पांच साल पहले निर्धारित किया गया है। इस प्रकार, नया लक्ष्य 2030 के बजाय 2025-26 है। जैव ईंधन नीति में अन्य संशोधन हैं:
- जैव ईंधन के उत्पादन के लिए अधिक फीडस्टॉक की अनुमति।
- विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ), निर्यातोन्मुखी इकाइयों में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत जैव ईंधन के उत्पादन की अनुमति।
- कुछ मामलों में जैव ईंधन के निर्यात की अनुमति।
- राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (NBCC) में नए सदस्यों को शामिल करना, जो कि सम्मिश्रण कार्यक्रम का समन्वय करने वाली एजेंसी है।
राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, 2018 क्या है और इसके फायदे क्या हैं?
राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, 2018 बायोएथेनॉल, बायोडीजल और बायो-सीएनजी पर केंद्रित है। इस नीति के प्रमुख भाग इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (EPB), दूसरी पीढ़ी (2G) इथेनॉल का उत्पादन, फीडस्टॉक में R&D आदि हैं।
प्रारंभिक लक्ष्य 2030 तक 20% सम्मिश्रण प्राप्त करना था। केंद्र सरकार ने चीनी सिरप, गन्ने के रस और भारी गुड़ से उत्पादित इथेनॉल के लिए प्रीमियम दरों की घोषणा की।
इस नीति का उद्देश्य तेल आयात पर निर्भरता को कम करना है, जिससे आयात बिल में कटौती हो। यह उपभोक्ताओं को पर्यावरण के अनुकूल ईंधन का उपयोग करने की भी अनुमति देती है। यह नीति चीनी उद्योग को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और आत्मनिर्भर बनने में भी सक्षम बनाती है।
सम्मिश्रण और स्थापित क्षमता की वर्तमान स्थिति क्या है?
वर्तमान में, अखिल भारतीय औसत सम्मिश्रण (average blending) 9.90% है। इथेनॉल उत्पादन के लिए चीनी मिलों की स्थापित क्षमता 460 करोड़ लीटर है। 20% सम्मिश्रण लक्ष्य प्राप्त करने के लिए देश को 1,500 करोड़ लीटर इथेनॉल की लगातार वार्षिक आपूर्ति की आवश्यकता है।
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