केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ई-कोर्ट चरण III (eCourts Phase III) को मंजूरी दी
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (National eGovernance Plan) के हिस्से के रूप में 2007 में शुरू की गई ई-कोर्ट परियोजना (e-Courts Project) अब “पहुंच और समावेशन” पर जोर देते हुए अपने तीसरे चरण में प्रवेश कर रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7210 करोड़ रुपये के वित्तीय आवंटन के साथ चार साल की केंद्रीय क्षेत्र योजना, ई-कोर्ट परियोजना चरण III को अपनी मंजूरी दे दी है। इसका व्यापक उद्देश्य पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा देने, अदालतों, वादियों और हितधारकों के बीच निर्बाध, कागज रहित बातचीत के लिए एक एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच स्थापित करना है।
ई-कोर्ट परियोजना चरण III का प्राथमिक लक्ष्य क्या है?
“सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” के दृष्टिकोण के अनुरूप इस मिशन का उद्देश्य प्रौद्योगिकी के माध्यम से न्याय तक पहुंच बढ़ाना है। इसका उद्देश्य डिजिटल, कागज रहित अदालतें बनाना और कुशल सेवाएं प्रदान करना है।
ई-कोर्ट परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” के दृष्टिकोण से कैसे मेल खाती है?
यह परियोजना न्यायिक प्रणाली में पहुंच, सामर्थ्य, विश्वसनीयता, पूर्वानुमेयता और पारदर्शिता पर ध्यान केंद्रित करके सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करते हुए इस दृष्टिकोण के अनुरूप है।
न्याय में अधिकतम आसानी प्राप्त करने के लिए चरण III में कौन से प्रमुख घटक शामिल किए जाएंगे?
चरण III में अदालती रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने, सार्वभौमिक ई-फाइलिंग और ई-भुगतान प्रणाली शुरू करने और निर्णय लेने में न्यायाधीशों और रजिस्ट्रियों की सहायता के लिए बुद्धिमान प्रणालियों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
ई-कोर्ट चरण III की केंद्र प्रायोजित योजना को लागू करने के लिए कौन जिम्मेदार है?
यह योजना संबंधित उच्च न्यायालयों के सहयोग से न्याय विभाग, कानून और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार और ई-समिति, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के बीच एक संयुक्त साझेदारी के माध्यम से कार्यान्वित की जाती है।
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