कोयला आधारित बिजली सयंत्रों में बायोमास ईंधन का उपयोग किया जायेगा
बायोमास पेलेट्स के सम्मिश्रण (blending) को विद्युत मंत्रालय द्वारा अनिवार्य कर दिया गया है। 8 अक्टूबर 2021 को जारी “Revised Policy for Biomass Utilization for power generation Through Co-firing in Coal-based Power Plants” के तहत, बायोमास पेलेट्स को मुख्य रूप से कोयले के साथ कृषि अवशेषों से बनाया जायेगा।
मुख्य बिंदु
- देश में ताप विद्युत संयंत्रों (thermal power plants) को बायोमास पेलेट्स के 5% मिश्रण का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है जो मुख्य रूप से कोयले के साथ कृषि अवशेषों से बने होते हैं।
- इस आदेश जारी होने के दो साल से और उसके बाद ब्लेंडिंग का प्रतिशत बढ़ाकर 7% कर दिया जाएगा।
बायोमास पेलेट्स (Biomass Pellets) क्या हैं?
बायोमास पेलेट एक प्रकार का बायोमास ईंधन है जो बहुत लोकप्रिय है। इन पेलेट्स को ज्यादातर कृषि बायोमास, लकड़ी के कचरे, वानिकी के अवशेषों, वाणिज्यिक घासों आदि से बनाया जाता है। ये पेलेट्स न केवल भंडारण और परिवहन की लागत को बचाने में मदद करते हैं, बल्कि बायोमास पेलेट्स लागत प्रभावी संचालन की सुविधा में भी मदद करते हैं।
बायोमास को-फायरिंग (Biomass Co-firing)
इसका अर्थ है बॉयलर के भीतर अन्य ईंधन जैसे कोयला, गैस आदि के साथ बायोमास सामग्री का दहन और मिश्रण। यह लागत में वृद्धि किए बिना जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करता है। को-फायरिंग ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में भी मदद करती है क्योंकि जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम हो जाता है।
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