क्या है भारत सरकार का ऑपरेशन कावेरी?

भारत ने सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच चल रहे गृहयुद्ध के बीच सूडान में फंसे अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए ऑपरेशन कावेरी शुरू किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूडान में फंसे भारतीयों के लिए चिंता जताई है और संबंधित अधिकारियों से जल्द से जल्द उन्हें निकालने को कहा है.

क्या है ऑपरेशन कावेरी?

ऑपरेशन कावेरी सूडान में फंसे अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक मिशन है। फंसे हुए नागरिकों को घर वापस लाने के लिए भारतीय जहाजों और विमानों को तैनात किया गया है। मिशन का नाम कावेरी नदी के नाम पर रखा गया है।

क्या है सूडान संकट?

सूडान में संकट वहां के दो जनरलों सेना प्रमुख फताल बुरहान और वहां के पैरा मिलिट्री फोर्सेज के कमांडर मोहम्मद हमदान डागलो के बीच ताकत का प्रदर्शन एवं सत्ता संघर्ष है। । ताजा संकट इन दोनों के बीच लड़ाई के कारण उत्पन्न हुआ है, जिसके गंभीर परिणाम के साथ एक हिंसक टकराव हुआ है। इस संकट में विदेशी ताक़तें भी शामिल हैं। यूएई के सेना प्रमुख सूडान के अर्धसैनिक बलों के कमांडर मोहम्मद हमदान दगालो का समर्थन करते हैं, और सूडान के सेना प्रमुख फताल बुरहान को रूस का समर्थन प्राप्त है। फताल बुरहान के आने के बाद रूस ने एक डील की थी, जिसके तहत उसने वहां नेवल बेस भी तैयार कर लिया है। ऐसे में उन्हें रूस का पूरा समर्थन मिल रहा है और रूस कभी नहीं चाहेगा कि इस लड़ाई में फताल बुरहान की हार हो। इसमें मध्य पूर्वी देशों की भी भूमिका है, क्योंकि यह सूडान सोने की खानों और कृषि का एक बड़ा केंद्र है। इसमें यूएई का भी भारी निवेश है और वहां रूस के कुछ गुप्त समूह भी हैं, जिनका काफी निवेश है।

भारत-सूडान संबंध पर प्रभाव

भारत का सूडान के साथ गहरा संबंध है, विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में, जहां फार्मास्युटिकल क्षेत्र में भारतीय कंपनियों की भी उपस्थिति है। चूंकि संकट जारी है, इसका विश्व अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। जहां तक सूडान से भारतीय नागरिकों को निकालने का सवाल है, सूडान के पड़ोसी देशों में भारत से नौसैनिक जहाज भेजे गए हैं। हालाँकि, यह न केवल भारत के लिए बल्कि अन्य देशों के लिए भी एक चुनौती है, क्योंकि नागरिकों को सुरक्षित रूप से निकालने से पहले हिंसा को कम करने की आवश्यकता है।

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