गांधी इरविन समझौता
प्रसिद्ध गांधी इरविन पैक्ट स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष का एक महत्वपूर्ण बिंदु था। महात्मा गांधी और भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने 5 मार्च 1931 को इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस राजनीतिक समझौते ने भारत की औपनिवेशिक सरकार के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा शुरू की जाने वाली कुछ विशिष्ट कार्रवाई बिंदुओं को सामने रखा। संधि में जिन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई, वे इस प्रकार हैं:
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन को रोकना
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा गोलमेज सम्मेलन में भाग लेना, नमक कर को हटाना
- भारतीयों को अपने स्वयं के उपयोग के लिए कानूनी रूप से नमक का उत्पादनव्यापार और बिक्री करने की अनुमति
- हिंसक कैदियों को छोड़कर सबकी रिहाई
- ब्रिटिश सरकार द्वारा जारी किए गए सभी अध्यादेशों को हटाकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की गतिविधियों पर अंकुश
- हिंसा को छोड़कर कई प्रकार के अपराधों से संबंधित सभी अभियोगों को हटाना।