गुप्त वंश के शासक

गुप्तवंश के शासन को भारत का स्वर्णयुग कहा जाता है।
श्रीगुप्त
गुप्त वंश के पहले राजा का नाम श्रीगुप्त बताया जाता है।
घटोत्कच
घटोत्कच के बाद उसका पुत्र श्रीगुप्त शासक बना।
चन्द्रगुप्त प्रथम
चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का पहला शासक था जिसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। उसने लिच्छवि राजकुमारी से विवाह किया। प्रोफेसर आर एस शर्मा के अनुसार गुप्त शासक वैश्य (बनिया) थे और क्षत्रिय कुल में विवाह के बाद उनकी प्रतिष्ठा बढ़ गई।
समुद्रगुप्त
समुद्रगुप्त ने लगभग पूरे भारत पर विजय प्राप्त की। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि एक अद्वितीय शक्ति के रूप में भारत के अधिकांश लोगों का राजनीतिक एकीकरण था। समुद्रगुप्त ने महा राजाधिराज की उपाधि ली। सारे बड़े युद्ध जीतने के बाद समुद्रगुप्त ने अश्वमेध यज्ञ या अश्व यज्ञ किया। विदेशी राज्यों के कई शासकों जैसे शक और कुषाण राजाओं ने समुद्रगुप्त के वर्चस्व को स्वीकार किया और उन्हें अपनी सेवाएं प्रदान कीं।
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य
चंद्रगुप्त ने एक आक्रामक विस्तारवादी नीति अपनाई। उन्होंने 375 से 415 ई तक शासन किया। उन्होंने शक-क्षत्रप वंश के रुद्रसिंह तृतीय को हराया और गुजरात में अपना साम्राज्य कायम किया।
कुमारगुप्त प्रथम
कुमारगुप्त प्रथम ने अपने पिता चन्द्रगुप्त द्वितीय से 451 ई में सत्ता प्राप्त की, और 450 ई तक 40 वर्षों की लंबी अवधि तक शासन किया। उनका शासन शांतिपूर्ण था।
स्कंदगुप्त
उसने कुमारादित्य की उपाधि धारण की और 455ई से 467ई तक 12 वर्षों तक शासन किया। उसने हूणों को पराजित किया।

इनके बाद गुप्त वंश का पतन शुरू हो गया और 550 ई के लगभग यह वंश समाप्त हो गया।

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