गुमला जिला, झारखंड

झारखंड के गुमला जिले की स्थापना 18 मई 1983 को रांची जिले से अलग करके की गयी। इसका मुख्यालय गुमला में स्थित है। प्रकृति की सुंदरता से धन्य यह जिला घने जंगलों, पहाड़ियों और नदियों से आच्छादित है। यह झारखंड के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है।
गुमला जिले का इतिहास
प्राचीन काल में यह एक छोटा सा गांव था। यह मेला स्थल गौ-मेला के रूप में जाना जाता था। यह मेला साल में एक बार लगता था और एक हफ्ते तक चलता था। गौ-मेला के नाम पर इस जिले का नाम ‘गुमला’ रखा गया। मध्यकालीन युग के दौरान छोटा नागपुर पठार क्षेत्र पर नागा वंश के राजाओं का शासन था। ब्रिटिश शासन के दौरान गुमला लोहरदगा जिले के अधीन था। 1843 में इसे रांची प्रांत के अंतर्गत लाया गया था।
गुमला जिले का भूगोल
गुमला जिले की स्थलाकृति लहरदार है। जिले के कुल क्षेत्रफल का लगभग 27 प्रतिशत भाग वनों से घिरा है। गुमला जिले में सुखद ठंड और समशीतोष्ण मौसम की स्थिति की विशेषता अच्छी जलवायु है। मिट्टी का प्रमुख घटक लैटेराइट है। पूरे जिले में विभिन्न प्रकार की चट्टानें हैं। ये चट्टानें विभिन्न भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों की हैं। महत्वपूर्ण वन उत्पाद साल के बीज, कोकुन, लाख, तेंदु पत्ते, करंज, चिरौंजी आदि हैं।
गुमला जिले की जनसांख्यिकी
भारत में 2011 की जनसंख्या जनगणना के अनुसार गुमला जिले की आबादी 1,025,656 है। गुमला जिले की साक्षरता दर 66.92 प्रतिशत है।
गुमला जिले में पर्यटन
गुमला जिले में पर्यटन हेतु अनेक स्थान हैं। अंजन, बिरसा मुंडा एग्रो पार्क, बाघमुंडा, बासुदेकोना, चैनपुर, देवकी, हापामुनि, कामदरा, महादेवकोना, नागफेनी, पंच पांडव पहाड़, पालकोट और तांगीनाथ इस जिले के मुख्य आकर्षण हैं। गुमला जिले की मुख्य व्यावसायिक गतिविधियाँ कृषि और वन उत्पादों पर आधारित हैं।

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