गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट घोटाला (Gomti River Front Development Scam) क्या है?

गोमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (Gomti River Front Development Project) में घोटाले के सिलसिले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अधिकारी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में छापेमारी कर रहे हैं।

मुख्य बिंदु

  • गाजियाबाद, लखनऊ और आगरा सहित 13 जिलों में 40 स्थानों पर छापे मारे गए।
  • गोमती रिवरफ्रंट विकास परियोजना में 1,600 करोड़ रुपये की अनियमितताएं हैं।
  • पूर्व इंजीनियरों, अधीक्षण अभियंताओं, राज्य के सिंचाई विभाग के अन्य इंजीनियरों, निजी ठेकेदारों और व्यवसायियों को आरोपी बनाया गया है।
  • यह इस परियोजना घोटाले मेंसीबीआई द्वारा शुरू की गई यह दूसरी जांच है। पहला मामला दिसंबर 2017 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिशों पर दर्ज किया गया था।

पृष्ठभूमि

गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट 2015 में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा शुरू किया गया था। कई प्रमुख पर्यावरणविदों ने बताया है कि इस परियोजना को नदी प्रणालियों में हस्तक्षेप के रूप में देखा गया था।

परियोजना को लेकर विवाद

गोमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट विवादास्पद है क्योंकि लखनऊ और उसके आसपास गोमती नदी पर बल दिया गया है। इस परियोजना के साथ तीन प्रमुख मुद्दे हैं:

  1. लखनऊ की आबादी की रक्षा के लिए गोमती नदी के चारों ओर ऊंचे तटबंधों का निर्माण नदी के प्राकृतिक बाढ़ के मैदान को बदल रहा है।
  2. गोमती नदी में 40 प्राकृतिक नाले हैं।इनमें से 23 प्रमुख हैं। मानसून के दौरान नालियां अतिरिक्त पानी को नदी में ले जा रही थीं और भूमिगत जल स्तर को रिचार्ज कर रही थीं। लेकिन अब वे नाले आवासीय और औद्योगिक सीवेज को नदी में ले जा रहे हैं।
  3. नदी के बाढ़ के मैदान (floodplains) और उपजाऊ भूमि आवासीय क्षेत्रों से आच्छादित थी, जिसमें गोमती नगर और त्रिवेणी नगर शामिल थे।लेकिन गोमती नदी 1970 के दशक के अंत में घटने लगी थी।

गोमती नदी

यह गंगा की सहायक नदी है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह नदी ऋषि वशिष्ठ की पुत्री हैं और एकादशी के दिन गोमती नदी में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं।

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