ग्रेट बैरियर रीफ की मछलियां अपना रंग खो रहीं हैं : अध्ययन
एक नए अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण, महासागर गर्म हो रहे हैं और प्रवाल (corals) लगातार ब्लीच कर रहे हैं, जिससे ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ की मछलियां फीकी पड़ रहीं हैं और अपना रंग खो रहीं हैं।
मुख्य बिंदु
- यह अध्ययन Global Change Biology में प्रकाशित हुआ है।
- जेम्स कुक यूनिवर्सिटी, क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में डॉ. हेमिंगसन ने इस नए प्रकाशित अध्ययन का नेतृत्व किया।
- हाल ही में प्रकाशित इस अध्ययन ने मछली समुदायों के रंग के साथ-साथ उनके रहने के वातावरण में देखे गए परिवर्तनों की निगरानी की है।
- शोधकर्ताओं के अनुसार, मछली समुदायों की रंग विविधता स्थानीय पर्यावरण की संरचना से जुड़ी हुई है।
किन क्षेत्रों में चमकीले रंगों वाली मछली की प्रजातियां पाई जाती हैं?
अध्ययन से पता चला है कि जिन क्षेत्रों में संरचनात्मक रूप से जटिल कोरल की अधिक सांद्रता थी, उनमें अधिक चमकीले और विविध रंगों वाली मछलियों की प्रजातियां थीं।
पर्यावरण परिवर्तन का प्रभाव
वैश्विक पर्यावरण परिवर्तन के कारण, ग्रेट बैरियर रीफ के मछली समुदायों के रंग और पर्यावरण के बीच संबंध प्रभावित हो रहे हैं। शोधकर्ताओं ने मछली और कोरल के बीच संबंध पाया है जो लगातार अपना प्राकृतिक रंग खो रहे हैं।
पिछले 27 वर्षों में हरी और पीली मछलियों की आबादी में लगभग तीन चौथाई की स्थिर गति से गिरावट आई है। 1998 की वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना (global coral bleaching event) के बाद, मछली समुदायों का रंग काफी कम हो गया है।
ग्रेट बैरियर रीफ के बारे में हाल की रिपोर्ट
हाल की रिपोर्टों के अनुसार, ग्रेट बैरियर रीफ में फिर से विरंजन (bleaching) हुआ है, क्योंकि समुद्र का औसत से अधिक तापमान उनके लिए लगातार खतरा बना हुआ है।
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