ग्लोबल वार्मिंग से मलेरिया, डेंगू से अरबों लोग प्रभावित हो सकते हैं : अध्ययन

लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ (Lancet Planetary Health) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2100 तक तापमान में 3.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से मलेरिया और डेंगू का घातक प्रकोप हो सकता है।

मुख्य बिंदु

  • ग्लोबल वार्मिंग ने बाढ़ और सूखे के खतरे को बढ़ा दिया है।
  • शोधकर्ताओं ने एक एकीकृत बहु-मॉडल बहु-परिदृश्य ढांचे (integrated multi-model multi-scenario framework) का उपयोग किया और संचरण (transmission) के मौसम की लंबाई में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को मापा।
  • उन्होंने 1951-99 की अवधि के लिए विभिन्न ऊंचाई और जनसंख्या घनत्व पर मलेरिया और डेंगू के खतरे में वैश्विक जनसंख्या को भी मापा।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष

  • इस अध्ययन के अनुसार, 1970-99 की तुलना में लगभग 7 बिलियन अधिक लोगों को घातक बीमारियों का खतरा हो सकता है।
  • अफ्रीकी क्षेत्र, दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र और अमेरिका के घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में मलेरिया और डेंगू के खतरे में जनसंख्या अधिक होगी।
  • अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के शहरी इलाकों में मलेरिया और डेंगू से 4 अरब अतिरिक्त लोग प्रभावित होंगे।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण दोनों बीमारियों का ट्रांसमिशन सीजन भी बढ़ने वाला है।हाल के रुझानों से पता चलता है कि सर्दियां गर्म हो रही हैं और गर्मियां पहले आ रही हैं। इसलिए मच्छरों जैसे रोगवाहकों को प्रजनन के लिए अधिक समय मिल रहा है। बढ़ते तापमान के साथ यह स्थिति और विकराल हो जाएगी।
  • अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय उच्चभूमि, पूर्वी भूमध्यसागरीय और अमेरिका में मलेरिया के संचरण का जोखिम 6 अतिरिक्त महीनों तक बढ़ जाएगा।
  • पश्चिमी प्रशांत और पूर्वी भूमध्यसागर के निचले इलाकों में डेंगू के संचरण का जोखिम चार अतिरिक्त महीनों तक बढ़ जाएगा।

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