चक्रवर्ती पद्मनाभन रामानुजम
चक्रवर्ती पद्मनाभन रामानुजम को संख्या सिद्धांत और बीजगणितीय ज्यामिति में उनके काम के लिए जाना जाता है। भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम की तरह सी.पी. रामानुजम का भी जीवन बहुत छोटा था। रामानुजम हर दिए गए विषय के लिए एक उचित प्रमेय विकसित करना चाहते थे। वे गणित को सुंदर बनाना चाहते थे। चक्रवर्ती पद्मनाभन रामानुजम का जन्म 9 जनवरी 1938 को चेन्नई राज्य में हुआ था। अपने सभी भाई-बहनों में सी.पी. रामानुजम सबसे बड़े थे। वह चक्रवर्ती श्रीनिवास पद्मनाभन के पुत्र थे। कम उम्र से ही रामानुजम ने अपने आस-पास की सभी चीजों के लिए गहन जिज्ञासा का प्रदर्शन किया। केवल दस साल की उम्र में उन्होंने अपने लेगो सेट के साथ जटिल यांत्रिक उपकरणों को डिजाइन करना शुरू कर दिया था। जब वे 12 वर्ष के थे तब उनके कमरे में एक रसायन विज्ञान प्रयोगशाला थी जहाँ वे लगातार विभिन्न रसायनों के साथ प्रयोग करते थे। चक्रवर्ती पद्मनाभन रामानुजम अपने स्कूल के दिनों से ही सीखने के लिए एक असाधारण उत्साह रखते थे। अपना स्कूल पूरा करने के बाद उन्होंने वर्ष 1952 में चेन्नई के लोयोला कॉलेज में प्रवेश लिया था। कॉलेज में उनकी विशेषज्ञता गणित थी और उन्होंने इस विषय में बड़ी दक्षता और जोश के साथ महारत हासिल की थी।
अठारह वर्ष की आयु में सी.पी. रामानुजम गणित में अपना करियर बनाने के लिए मुंबई चले गए थे। वर्ष 1957 में वह अपने मित्र राघवन नरसिम्हन और एस. रामनन के साथ TIFR में शामिल हुए थे। कहा जाता था कि रामानुजम कठिन से कठिन समस्याओं को आसानी से सुलझा सकते थे। 20वीं सदी के इस भारतीय गणितज्ञ ने भी इस विषय में एक अविश्वसनीय बहुमुखी प्रतिभा और गहराई दिखाई। अपने डॉक्टरेट के दिनों के दौरान रामानुजम ने असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया और परिणामस्वरूप उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर के पद से सम्मानित किया गया।
उन्होने अपने सीखने के जोश और इच्छा को कभी खत्म नहीं होने दिया। वर्ष 1967 में जब रामानुजम ने डॉक्टरेट की परीक्षा दी तो उन्होंने अपने सभी शिक्षकों को प्रभावित किया और यह निष्कर्ष निकला कि सी.पी. रामानुजम में गणित के क्षेत्र में असाधारण प्रतिभा थी। गणित रामानुजम का एकमात्र जुनून नहीं था, वह साहित्य में भी बहुत रुचि रखते थे। वह पढ़ना पसंद करते थे और हमेशा दूसरों को किताबें उपहार में देते थे। संगीत भी रामानुजम के दिल के बहुत करीब था। सी.पी. रामानुजम को अच्छा खाना पसंद था और उनके अन्य शौक में शतरंज और कैरम खेलना शामिल था। जहां तक गणित का संबंध है, यह रामानुजम के लिए आराम का एक तरीका था। रामानुजम को उदार हृदय के व्यक्ति के रूप में भी जाना जाता था और जो भी उनसे संपर्क करता था, उनके साथ अपनी बातें साझा करने में कभी नहीं हिचकिचाते थे। मौत का कारण रामानुजम काफी हद तक डिप्रेशन था। 27 अक्टूबर, 1974 को सैंतीस वर्ष की अल्पायु में सी.पी. रामानुजम ने अपनी जान ले ली। गणित में उनका योगदान अतुल्य है।