चक्रवातीय तूफ़ान ‘बुरेवी’ दक्षिण भारत को करेगा प्रभावित
बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व और उससे सटे दक्षिण-पश्चिम में डीप डिप्रेशन एक चक्रवाती तूफान में तब्दील हो गया है। मालदीव ने इसे ‘बुरेवी’ नाम दिया है।
मुख्य बिंदु
- मौसम विभाग ने कहा है कि यह चक्रवाती प्रणाली वर्तमान में श्रीलंका में त्रिंकोमली के पूर्व-दक्षिण-पूर्व में लगभग 400 किमी क्षेत्र के आसपास केंद्रित है।
- यह 2 दिसंबर तक त्रिंकोमली के पास श्रीलंकाई तट को पार कर जाएगा।
- यह मन्नार की खाड़ी और इसके समीपवर्ती कोमोरिन क्षेत्र को भी प्रभावित करेगा।
- यह दक्षिणी तमिलनाडु में पंबन और कन्याकुमारी के बीच तटों को पार करेगा।
- तमिलनाडु, कन्याकुमारी, तिरुनेलवेली, थुथुकुडी, तेनकासी, रामनाथपुरम और शिवगंगई जिलों में कुछ स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात
यह चक्रवात एक तीव्र गोलाकार तूफान होता है। यह गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों में उत्पन्न होता है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात की विशेषता कम वायुमंडलीय दबाव, तेज़ हवाएं और भारी बारिश है। ये तूफान दक्षिणी गोलार्ध में क्लॉकवाइज घुमते हैं और गोलार्ध में एंटीक्लॉकवाइज घूमते हैं। इन तूफानों को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नाम से जाना जाता हैं:
- उत्तरी अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में इन्हें हरिकेन कहा जाता है।
- दक्षिण पूर्व एशिया और चीन में इन्हें टाइफून (तूफ़ान) कहा जाता है।
- दक्षिण-पश्चिम प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय चक्रवात कहा जाता है।
- उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में इन्हें विली-विली कहा जाता है।
चक्रवात का निर्माण कैसे होता है?
जल बादल बनने से पहले वायुमंडल से गर्मी अवशोषित करता है और यह वाष्प में बदल जाता है। जब यह जल वाष्प वर्षा के रूप में वापस तरल रूप में परिवर्तित हो जाता है, तो वायुमंडल में गर्मी का प्रसार होता है। यह गर्मी आसपास की हवा को गर्म कर देती है और फिर हवा ऊपर उठती है और जिसके कारण दबाव में गिरावट होती है। इसके परिणामस्वरूप, अधिक हवा तूफान के केंद्र की ओर आती है और चक्र निरंतर चलता रहत है।
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