चिलिका झील में विलुप्तप्राय इरावदी डॉल्फ़िन की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई
चिलिका विकास प्राधिकरण (Chilika Development Authority) और राज्य वन्यजीव विंग ने हाल ही में चिलिका झील (Chilika lake) में वार्षिक डॉल्फिन की जनगणना की। इस जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में झील में कुल इरावदी डॉल्फिन (Irrawaddy Dolphin) की आबादी 146 से बढ़कर 162 हो गई है।
इरावदी डॉल्फ़िन की आबादी में वृद्धि के पीछे क्या कारण हैं?
- लुप्तप्राय इरावदी डॉल्फिन की आबादी में वृद्धि का मुख्य कारण चिलिका/चिल्का विकास प्राधिकरण द्वारा लगातार प्रवर्तन है। चिलिका झील में अतिक्रमण के खिलाफ प्राधिकरण ने सख्त कदम उठाए हैं। इस झील में लगभग 25,223 हेक्टेयर क्षेत्र अवैध झींगा के अंतर्गत थे।
- 2019 में, ओडिशा उच्च न्यायालय ने राज्य के आर्द्र क्षेत्रों में झींगा क्षेत्र को नष्ट करने का आदेश दिया था।
- 2018 के बाद से, CDA ने 15,163 हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण से मुक्त किया है।
- इसके अलावा, COVID-19 के कारण 2020 में पर्यटन पर प्रतिबंध ने डॉल्फ़िन को एक अदृश्य स्थान प्रदान किया।
जनगणना के मुख्य बिंदु
- जनगणना में झील में तीन प्रजातियों की 342 डॉल्फ़िन पाई गयी।पिछले वर्ष इन प्रजातियों की केवल 62 डॉल्फिन थीं।
- इस सर्वेक्षण में लगभग 281 हंपबैक डॉल्फ़िन और 22 बॉटल नोज़ डॉल्फ़िन देखी गयी।
इरावदी डॉल्फिन
- इरावदी डॉल्फिन को IUCN रेड लिस्ट में लुप्तप्राय श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
- ये डॉल्फ़िन मुख्य रूप से मेकॉन्ग (चीन), इरावदी (म्यांमार) और महाकम (इंडोनेशियाई बोर्नियो) तीन नदियों में पाई जाती हैं।
चिलिका झील (Chilika Lake)
- यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लैगून है।
- 1981 में, इस झील को भारत के पहले रामसर स्थल के रूप में नामित किया गया था।
- चिलिका झील का मुख्य आकर्षण इरावदी डॉल्फ़िन है।
- इस झील में नालबाना द्वीप (Nalabana island) को 1987 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था।
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