चीन ने तीन दशक बाद भारत से चावल का आयात शुरू किया

चीन ने पहली बार भारत से चावल का आयात शुरू किया है। यह कदम भारत-चीन सीमा तनाव के बीच उठाया गया है। गौरतलब है कि चीन तीन दशक बाद भारत से चावल आयात कर रहा है।

कारण

  • चीन ने अपने पारंपरिक निर्यातकों से चावल का आयात बंद कर दिया है।
  • हालाँकि चीन ने भारतीय चावल की गुणवत्ता के मामले को भी उठाया है।
  • भारत ने चीन को रियायती कीमतों का प्रस्ताव दिया, जिसके बाद चीन ने चावल का आयात शुरू कर दिया।
  • इसके अलावा,थाईलैंड, वियतनाम, म्यांमार और पाकिस्तान जैसे देश चीन के पारंपरिक चावल आपूर्तिकर्ता हैं।लेकिन, इन देशों क पास निर्यात के लिए पर्याप्त चावल नही है।
  • इसके अलावा ये देशम\, भारतीय चावल की कीमतों की तुलना में 30 डॉलर प्रति टन अधिक कीमत ले रहे हैं।

मुख्य बिंदु

  • भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है जबकि चीन सबसे बड़ा आयातक है।
  • चीन हर साल लगभग 4 मिलियन टन चावल का आयात करता है।
  • भारत में व्यापारियों ने दिसंबर-फरवरी के शिपमेंट में एक लाख टन टूटे चावल के निर्यात के लिए अनुबंध किया है।इसकी कीमत 300 डॉलर प्रति टन है।

भारत का चावल निर्यात

भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत वैश्विक बाजार में बासमती चावल का शीर्ष निर्यातक है। वर्ष 2018-2019 में, भारत ने लगभग 4.4 मिलियन मीट्रिक टन बासमती चावल का निर्यात किया था। इसकी कीमत 4.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

भारत के बासमती चावल उत्पादक राज्य

भारत में बासमती चावल का उत्पादन करने वाले राज्य हैं- जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश।

गैर-बासमती चावल का निर्यात

2018-19 में, भारत ने 7.5 मिलियन मीट्रिक टन गैर-बासमती चावल का निर्यात किया था। इसकी कीमत 3 बिलियन अमरीकी डालर थी। भारत ने नेपाल, बांग्लादेश, सेनेगल, बेनिन, बांग्लादेश और गिनी जैसे देशों को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया था।

भारत में चावल का उत्पादन

भारत विश्व में चावल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। भारत मुख्य रूप से सफेद चावल और भूरे चावल का उत्पादन करता है। भारत में चावल ज्यादातर देश के पूर्वी और दक्षिणी भागों में उगाया जाता है। समय के साथ चावल के उत्पादन में वृद्धि हुई है।

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