चीन ने लिथुआनिया पर आयात प्रतिबन्ध लगाया

चीनी सरकार ने हाल ही में लिथुआनिया पर आयात प्रतिबंध लगा दिया है। इसका मतलब है कि चीनी कंपनियों को लिथुआनिया से माल या कच्चे माल का आयात नहीं करना होगा। इससे पहले 2021 में, लिथुआनिया ने ताइवान को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी थी और देश में ताइवान का कार्यालय खोला था। चीन के अनुसार ताइवान उसका अभिन्न अंग है। इस पर यूरोपीय संघ ने विश्व व्यापार संगठन में चीन के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।

चीनी कार्रवाई

इससे पहले चीन ने ऑस्ट्रेलिया से शराब के आयात और नॉर्वे से सैल्मन मछली के आयात पर भी रोक लगा दी थी।  जब भारत ने दलाई लामा को शरण दी थी, तो चीन ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया थी।

यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को कैसे प्रभावित करेगा?

चीन में कुल लिथुआनिया आयात केवल 350 मिलियन अमरीकी डालर है। लिथुआनिया के साथ व्यापार में चीन सबसे आगे है। जर्मन और फ्रांसीसी कंपनियां लिथुआनिया के रास्ते चीन को अपना निर्यात भेज रही हैं। ये कंपनियां अब बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई हैं। इस प्रकार, लिथुआनिया को अवरुद्ध करके चीन यूरोपीय संघ के व्यापार पर प्रभाव डाल रहा है।

यूरोपीय संघ इस मुद्दे में क्यों प्रवेश कर रहा है?

चीनियों ने केवल लिथुआनिया को अवरुद्ध किया है। हालांकि इसका असर जर्मनी और फ्रांस पर पड़ रहा है। जर्मन ऑटोमोटिव आपूर्तिकर्ता काफी हद तक प्रभावित हुए हैं। वे अपना निर्यात लिथुआनिया के माध्यम से भेजते हैं। साथ ही, लिथुआनिया यूरोपीय संघ का सदस्य है। यूरोपीय संघ अपने सभी 27 सदस्यों के व्यापार मुद्दों को संभालता है और नेतृत्व करता है।

इस मुद्दे पर अमेरिका का रुख

अमेरिका इस मुद्दे पर यूरोपीय संघ का समर्थन कर रहा है। इससे पहले अमेरिका ने उइगर मुसलमानों के क्षेत्र में उत्पादित वस्तुओं को लेकर चीन पर प्रतिबंध लगाए थे। यह अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी चीन में सस्ते मजदूर के रूप में काम करने को मजबूर है।

चीन को नाराज़ करने के लिए लिथुआनिया ने क्या किया?

लिथुआनिया ने ताइवान की भाषा में एक ताइवानी कार्यालय का नाम बदल दिया। पहले यह नाम चीनी भाषा ताइपे में था।

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