चीन बना भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार
वर्ष 2020 में चीन फिर से भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार बन गया है। इसका कारण यह था कि भारत अभी भी चीन से भारी मशीनों, दूरसंचार उपकरणों और घरेलू उपकरणों के आयात पर निर्भर था।
मुख्य बिंदु
- वर्ष 2020 में दोनों देशों के बीच व्यापार 7 बिलियन डॉलर था।
- हालांकि, 2019 के व्यापार की कुल 5 बिलियन डॉलर की तुलना में व्यापार घट गया था।
- भारी मशीनों आदि के आयात ने चीन पर निर्भरता को कम करने के भारत के प्रयासों को कमजोर कर दिया।
- जिसके परिणामस्वरूप, चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार अंतर वर्ष 2020 में $40 बिलियन था।
- चीन से कुल आयात $ 58.7 बिलियन रहा जो कि भारत का अमेरिका और यूएई से संयुक्त आयात के बराबर है।
- इस आंकड़े में यह भी बताया गया है कि भारत अपने एशियाई पड़ोसियों से आयात कम करने में सक्षम था।
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विवादित हिमालयी सीमा में गलवान घाटी में चीन के साथ घातक संघर्ष के बाद भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था और चीन से निवेश पर मंजूरी को धीमा कर दिया था।
भारत-चीन संबंध
समय के साथ दोनों देशों के बीच संबंध भिन्न-भिन्न रहे हैं। भारत और चीन के बीच आधुनिक संबंध 1950 में शुरू हुए जब भारत ने चीन गणराज्य (ताइवान) के साथ औपचारिक संबंधों को समाप्त कर दिया। इसने मुख्य भूमि चीन में पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को वैध सरकार के रूप में मान्यता दी। दोनों देश एशिया क्षेत्र में दो प्रमुख क्षेत्रीय शक्तियां हैं। वे सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं भी हैं। राजनयिक और आर्थिक क्षेत्र में वृद्धि ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के महत्व को और अधिक बढ़ा दिया है।
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