चीन-रूस शुरू करेंगे सबसे बड़ी परमाणु ऊर्जा परियोजना
19 मई, 2021 को चीन और रूस ने सबसे बड़ी परमाणु ऊर्जा परियोजना लांच की। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) और चीनी राष्ट्रपति शी जिंग पिंग (Xi Jing Ping) ने इस समारोह में भाग लिया।
पृष्ठभूमि
2018 में, रूस और चीन ने परमाणु ऊर्जा सहयोग परियोजना पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत, दोनों देश शुदापु (Xudapu) परमाणु ऊर्जा संयंत्र की इकाई तीन और इकाई चार और तियानवान परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Tianwan Nuclear Power Plant) की इकाई 7 और इकाई 8 के निर्माण पर सहमत हुए थे।
परियोजना के बारे में
उपरोक्त चार इकाइयों का निर्माण देशों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवाचार और हाई-एंड उपकरण निर्माण के क्षेत्र में सहयोग का परिणाम है। इस परियोजना का अनुबंध मूल्य 20 बिलियन डालर है। इस परियोजना में उपयोग किए जाने वाले परमाणु रिएक्टर तीसरी पीढ़ी के VVER-1200 रिएक्टर हैं। पूरा होने के बाद, यह रिएक्टर 37.6 अरब किलोवाट ऑवर बिजली पैदा करेंगे। साथ ही वे 30.68 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड को कम करेंगे और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को भी कम करेंगे।
पृष्ठभूमि
यह परियोजना इस बात का मज़बूत प्रमाण है कि मानवाधिकार उल्लंघन सहित कई मुद्दों पर यूरोपीय संघ और अमेरिका के भारी दबाव का सामना करने के बाद रूस और चीन अपने घनिष्ठ संबंध बढ़ा रहे हैं। कोयले से चलने वाले संयंत्रों पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए चीन अपने परमाणु विकास में तेजी ला रहा है। ऐसा 2060 तक कार्बन न्यूट्रल बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए किया जा रहा है।
चीन की परमाणु शक्ति
अप्रैल 2021 तक, चीन में 39 परमाणु ऊर्जा संयंत्र हैं। इसके साथ चीन परमाणु शक्तियों के बीच तीसरे स्थान पर है। दूसरी ओर चीन अपनी तीसरी पीढ़ी की परमाणु तकनीक Hualong Two को भी आगे बढ़ा रहा है। चीन ने 2035 तक 200 गीगावॉट परमाणु क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
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