जल क्षेत्र में भारत-नीदरलैंड सामरिक भागीदारी : मुख्य बिंदु

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने हाल ही में अपने नीदरलैंड के समकक्ष मार्क रुट (Mark Rutte) के साथ एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन आयोजित किया। दोनों नेताओं ने देशों के बीच व्यापार और अर्थव्यवस्था में संबंधों में विविधता लाने पर सहमति व्यक्त की। वे स्मार्ट शहरों, कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा और अंतरिक्ष में अपने संबंधों का विस्तार करने के लिए भी सहमत हुए।

दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने और कंपनियों के मुद्दों को हल करने के लिए एक फास्ट-ट्रैकिंग मैकेनिज्म स्थापित किया जायेगा। भारत और डच कंपनियों में निवेशकों के लिए, यह मैकेनिज्म उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) में स्थापित किया जायेगा।

जल क्षेत्र में भागीदारी

इस शिखर सम्मेलन के दौरान, भारत और नीदरलैंड ने पानी पर एक रणनीतिक साझेदारी शुरू की। इस साझेदारी के तहत, दोनों देशों ने पानी पर संयुक्त कार्य समूह को मंत्री स्तर तक ले जाने पर सहमति व्यक्त की। इसका उद्देश्य पानी के नए क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को व्यापक बनाना है।

इस साझेदारी के तहत दोनों देश पानी के बजट पर, अपशिष्ट जल को ऊर्जा में  परिवर्तित करने और विकेंद्रीकृत उपचार प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

महत्व

जल प्रबंधन में नीदरलैंड विश्व में अग्रणी है। नीदरलैंड का एक-चौथाई हिस्सा समुद्र तल के नीचे है। फिर भी, नीदरलैंड ने पानी से संबंधित चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है और डेल्टा प्रबंधन, विलवणीकरण, बाढ़ नियंत्रण में प्रौद्योगिकियों और समाधानों का परीक्षण किया है।

भारत की योजना

वर्तमान में जल सुरक्षा भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता है। केंद्र सरकार जल दक्षता, जल सुरक्षा और गुणवत्ता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। यह प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana), नमामि गंगे मिशन (Namame Gana Mission) और जल जीवन शक्ति (Jal Jeevan Shakti) जैसी पहलों के तहत हासिल किया गया है।

प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना 2015 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य सिंचाई आपूर्ति के लिए समाधान प्रदान करना है। यह योजना प्रति बूंद अधिक फसल सुनिश्चित करने के लिए सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देती है।

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