जापान फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट के 1 मिलियन टन रेडियोधर्मी पानी को समुद्र में बहाएगा
जापानी सरकार ने हाल ही में फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Fukushima Nuclear Power Plant) से 1 मिलियन टन से अधिक उपचारित रेडियोधर्मी पानी छोड़ने की योजना को मंजूरी दी। 2011 में, भूकंप और सुनामी के कारण इस संयंत्र में परमाणु दुर्घटना हुई। यह सबसे गंभीर परमाणु दुर्घटना थी जिसे अंतर्राष्ट्रीय परमाणु घटना पैमाने पर स्तर 7 के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
मुख्य बिंदु
उपचारित रेडियोधर्मी पानी छोड़ने की प्रक्रिया को शुरू होने में कई साल लग सकते हैं और इसे पूरा होने में कई दशक लगेंगे। इसके अलावा, जापान को समुद्र में पानी छोड़ने के लिए परमाणु-विरोधी कार्यकर्ताओं और मछली पकड़ने वाले समुदायों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
क्या यह प्रक्रिया सुरक्षित है?
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency) के अनुसार, फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र से पानी छोड़ने की घटना दुनिया में कहीं और परमाणु संयंत्रों से अपशिष्ट जल को निपटाने के समान है।
इतनी बड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी (radio active) पानी कहां से आया?
क्षतिग्रस्त परमाणु रिएक्टर को नियंत्रण में लाने के लिए पंप और पाइपिंग की एक अस्थायी प्रणाली का उपयोग किया गया था। पिघले हुए यूरेनियम की छड़ों को ठंडा रखने के लिए क्षतिग्रस्त परमाणु रिएक्टरों में कई टन पानी इंजेक्ट किया गया था। ईंधन से संपर्क करते ही यह पानी दूषित (contaminated) हो गया। यह दूषित पानी अब 1.3 मिलियन टन हो गया है।
पानी छोड़ने की योजना
ऑपरेटर TEPCO (Tokyo Electric Power Company Holdings) ने ट्रिटियम को छोड़ कर दूषित पानी को फ़िल्टर करने की योजना बनाई है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ट्रिटियम को पानी से निकालना बेहद जटिल और मुश्किल है। अन्य रेडियोधर्मी कचरे की तुलना में ट्रिटियम कम हानिकारक है। यह मानव त्वचा में घुसने के लिए पर्याप्त ऊर्जा का उत्सर्जन नहीं करता है। हालाँकि, यह कैंसर का कारण बन सकता है।
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