जैविक विविधता पर कन्वेंशन (Convention on Biological Diversity) क्या है?
जैविक विविधता पर कन्वेंशन (Convention on Biological Diversity – CBD) एक बहुपक्षीय संधि है और इसके तीन लक्ष्य हैं : जैविक विविधता संरक्षण हैं; घटकों का सतत उपयोग; और आनुवंशिक संसाधनों से उत्पन्न होने वाले लाभों का न्यायसंगत और निष्पक्ष बंटवारा।
मुख्य बिंदु
- 1992 में रियो डी जनेरियो में आयोजित पृथ्वी शिखर सम्मेलन (Earth Summit) में, CBD को हस्ताक्षर के लिए खोला गया था।
- वर्ष 1993 में, CBD लागू हुआ।
- संयुक्त राष्ट्र का एकमात्र सदस्य राज्य जिसने इस सम्मेलन की पुष्टि नहीं की है, वह अमेरिका है।
- CBD के दो पूरक समझौते हैं, नागोया प्रोटोकॉल और कार्टाजेना प्रोटोकॉल।
CBD का उद्देश्य
CBD का उद्देश्य रणनीतियों का विकास करना है ताकि जैविक विविधता को संरक्षित और स्थायी रूप से उपयोग किया जा सके। CBD को आम तौर पर सतत विकास के प्रमुख दस्तावेज के रूप में देखा जाता है।
नागोया प्रोटोकॉल (Nagoya Protocol)
आनुवंशिक संसाधनों तक पहुंच पर नागोया प्रोटोकॉल (Nagoya Protocol on Access to Genetic Resources) CBD का एक पूरक समझौता है। इस प्रोटोकॉल के तहत, CBD के तीन उद्देश्यों में से एक के कार्यान्वयन के लिए एक पारदर्शी कानूनी ढांचा निर्धारित किया गया है जो आनुवंशिक संसाधनों से उत्पन्न होने वाले लाभों का न्यायसंगत और निष्पक्ष साझाकरण है। 2010 में जापान के नागोया में इस प्रोटोकॉल को अपनाया गया और 2014 में यह लागू हुआ।
कार्टाजेना प्रोटोकॉल (Cartagena Protocol)
जैव विविधता पर कन्वेंशन के लिए जैव सुरक्षा पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल (Cartagena Protocol on Biosafety to the Convention on Biological Diversity) आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप सभी जीवित संशोधित जीवों (Living Modified Organisms – LMOs) की एक देश से दूसरे देश में आवाजाही को नियंत्रित करता है। 2000 में इस प्रोटोकॉल को CBD के पूरक समझौते के रूप में अपनाया गया और 2003 में यह लागू हुआ।
नवीनतम ड्राफ्ट अनुशंसा (Latest Draft Recommendation)
हाल ही में स्वास्थ्य और जैव विविधता पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक मसौदा सिफारिश जारी की गई थी। इस मसौदे में एक एकीकृत दृष्टिकोण का आह्वान किया गया ताकि लोगों, पारिस्थितिक तंत्र और जानवरों के स्वास्थ्य को स्थायी रूप से अनुकूलित और संतुलित किया जा सके। इस मसौदे में स्वास्थ्य और जैव विविधता पर COVID-19 महामारी के प्रभाव को भी संबोधित किया गया था। साथ ही, संक्रमण के प्रकोप और रोगजनक स्पिलओवर को कम करने के तरीकों की रूपरेखा तैयार की गई। पूर्व चेतावनी निगरानी और सूचना साझा करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया ताकि महामारियों को रोका जा सके। इसने वैश्विक स्वास्थ्य में असमानताओं जैसे कि दवाओं, निदान, टीकों और चिकित्सा उपकरणों तक पहुंच को संबोधित करने की आवश्यकता को भी बताया।
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