ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद क्या है?
9 सितंबर, 2021 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी की अदालत के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें विवादित ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का ‘व्यापक पुरातात्विक भौतिक सर्वेक्षण’ करने के लिए कहा गया था।
मुख्य बिंदु
वाराणसी अदालत के आदेश पर रोक लगाते हुए, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रेखांकित किया कि उच्च न्यायालय अधीनस्थ न्यायाधिकरणों और न्यायालयों को ‘उनके अधिकार की सीमा के भीतर’ रखने में हस्तक्षेप कर सकता है।
पृष्ठभूमि
वाराणसी कोर्ट के 8 अप्रैल के आदेश को चुनौती देने के लिए यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद वाराणसी द्वारा याचिका दायर की गई थी। हालांकि, जस्टिस प्रकाश पाडिया ने याचिकाओं पर रोक लगाने का आदेश दिया। सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा दायर यह विविध आवेदन एक रिट याचिका का हिस्सा था जिस पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जटिल विवाद पर सुनवाई चल रही थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में दलीलें पूरी होने के बाद 15 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple)
यह वाराणसी के विश्वनाथ गली में स्थित भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। यह गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर में मुख्य देवता को श्री विश्वनाथ और विश्वेश्वर के नाम से जाना जाता है,।
इसे काशी विश्वनाथ मंदिर के नाम से क्यों जाना जाता है?
प्राचीन काल में वाराणसी शहर को काशी कहा जाता था। इसलिए इस मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।
पृष्ठभूमि
हिंदू शास्त्रों में शैव दर्शन में इस मंदिर को बहुत लंबे समय से पूजा के केंद्रीय भाग के रूप में संदर्भित किया गया है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में इस मंदिर को कई बार तोड़ा गया था। मंदिर की वर्तमान संरचना 1780 में, इंदौर की मराठा शासक, अहिल्या बाई होल्कर द्वारा एक आसन्न स्थल पर बनाई गई थी।
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