झारखंड ने अपनी पर्यटन नीति लांच की
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने करने के उद्देश्य से “झारखंड पर्यटन नीति” का शुभारंभ किया। इसके आकर्षण भारत और दुनिया को मंत्रमुग्ध कर देंगे।
झारखंड पर्यटन नीति के उद्देश्यों
- इसका उद्देश्य झारखंड में पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित व नवीनीकृत करना है।
- यह एक अलग आयाम और परिप्रेक्ष्य प्रदान करना चाहता है कि दुनिया राज्य को कैसे देखती है।
- यह नीति नागरिक सुविधाएं प्रदान करने और पारसनाथ, देवघर, इटखोरी और मधुबन सहित कई स्थानों के सौंदर्यीकरण के तरीकों को अपनाने पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
धार्मिक पर्यटक इकाइयाँ
इस नीति के तहत झारखंड में धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से एक धार्मिक पर्यटक इकाई भी स्थापित की जाएगी।
कार्यक्रम
इस नई शुरू की गई नीति के तहत निम्नलिखित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे:
- खाद्य उत्सव और अंतरराज्यीय संस्कृति विनिमय कार्यक्रम और सम्मेलन : इस तरह के आयोजन पर्यटकों को राज्य की शाही और देदीप्यमान संस्कृति का अनुभव करने में मदद करने के लिए आयोजित किए जाएंगे। यह कार्यक्रम जीवंत और विविध संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे।
- वार्षिक साहसिक खेल आयोजनः खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी और जल क्रीड़ा गतिविधियां विकसित की जाएंगी। इसका विस्तार तिलैया, चांडिल, मसनजोर, केलाघघ, पतरातू, गेतालसूद, हटिया बांध और कांके बांध जैसे जल निकायों तक किया जाएगा।
- नियामक ढांचा : सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचा तैयार किया जाएगा।
निवेशकों के लिए प्रावधान
यह नीति संभावित निवेशकों के लिए आकर्षक प्रावधानों का भी प्रस्ताव करती है। इसमें रोड परमिट, पर्यटन उद्यमों की जमीन की सीधी खरीद, 20-25% की सब्सिडी सीमा शामिल है।
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